तहलका न्यूज,बीकानेर। पिछले कुछ सालों में फॉस्ट फूड के प्रति युवाओं में चलन बढ़ा है। जायकेदार और तुरन्त खाने की हड़बड़ी में दाल,रोटी और सब्जी से नाता टूट गया है। महानगरों की तर्ज पर अब बीकानेर में भी भागम-भाग की स्पर्धा में फास्ट फूड लोगों की डाइट का हिस्सा बनने लगे है। पिज्जा, बर्गर, चाउमीन और कोल्ड ड्रिंक्स के सेहत पर पडऩे वाले नुकसान से अंजान युवाओं की यह रोजाना की डाइट का हिस्सा बन चुका है। रेस्तरा या होटलों में जाने के दौरान बच्चों की पसंद के चलते अभिभावक भी फास्ट फूड दिलाने से उन्हें नहीं रोकते हैं। इसे खाने वालों में विद्यार्थी वर्ग ज्यादा है, लेकिन अब स्थिति बदलने लगी है है। युवाओं के साथ ही बच्चे भी फॉस्ट फूड में अब बराबरी से टक्कर देने लगे हैं। लगातार फास्ट फूड खाने से सेहत पर असर पड़ता है। विशेषज्ञों का मानना है कि इसकी वजह से फैटी लिवर,मोटापा,डायबिटीज,दिल संबंधी रोगों के मामले में अब युवा भी तेजी से फंसने लगे हैं।

पिज्जा, बर्गर व मोमोक्ष बना पसंद
आजकल युवा घर का खाना नापसंद करने लगे हैं और मौका मिलते ही वे बर्गर, चाऊमीन,एगरोल एवं पिज्जा खाना पसंद करने लगे हैं। शहरी क्षेत्रों में रहने वाले युवाओं के पसंदीदा भोजन में दाल,चावल,रोटी व सब्जी की जगह बर्गर,पिज्जा,फ्रेंच फ्राई,छोले-भटूरे,समोसे रोजमर्रा के भोजन में शामिल हो गए हैं। जंक फूड तो बच्चों का सबसे अधिक मनपसंद बन गया है। विशेषकर मोमोज,चाऊमीन,बर्गर,पिज्जा,एग रोल,पास्ता,मंचूरियन सरीखे फास्ट फूड्स ने घरेलू भोजनों में सादी दाल,रोटी के प्रयोग को नगण्य कर दिया है।

पैसा कमाने की होड़ में स्वास्थ्य से खिलवाड़
फास्ट फूड के बढ़ते चलन में पैसा कमाने की होड़ के चलते स्वास्थ्य से पूरी तरह से खिलवाड़ किया जा रहा है। होटलों एवं रेस्तरा में बनने वाले खाद्य पदार्थों की जल्दी जांच ही नहीं की जाती है। लोग आते हैं और खाकर निकल जाते हैं, कभी स्वाद खराब रहा या बासी एवं अशुद्ध एवं खतनाक माने जाने वाले तत्वों का प्रयोग हो रहा है। इसे जानने या समझने की जहमत कोई नहीं उठाता। नतीजतन ऐसे भोजनों का प्रचलन तेजी से बढ़ा है। पिज्जा, बर्गर, चाऊमीन सभी मैदा से बने होते हैं। इनके सेवन से आंतों को नुकसान पहुंचता है। लगातार इस्तेमाल से लिवर के डैमेज होने के कई मामले सामने आ रहे हैं। स्ट्रीट वैन में मिलने वाले फास्टफूड में साफ-सफाई के साथ क्वालिटी ऑयल व मसालों का प्रयोग नहीं किया जाता है। हालांकि स्वास्थ्य विभाग की टीम ने कुछ होटलों,ठेलों पर छापेमारी भी की। वहां कई जगह अवधिपार सामान भी मिला।

जायकेदार भोजन ने घर के खाने से बढ़ाई दूरी
इस संबंध शहर के लोगों से बातचीत हुई तो उनका कहना है कि अब समय बदल गया है। कई जगहों पर घरों में मेहनत करने की अपेक्षा बाहर से ही जायकेदार खाना मंगा लिया जाता है। इसके चलते बच्चों एवं युवाओं को बाहर के खाने का चस्का तेजी से बढ़ा है। कई बार इनकी जिद पर इनको बर्गर,चाउमीन दिला देते हैं। ऐसे में यह फास्ट फूड बच्चों का पेट तो भर देते है, लेकिन इसके चलते बच्चों में एनीमिया,डिप्रेशन, चिड़चिड़ापन आदि समस्या हो जाती है। इसके अलावा उनकी भूख धीरे-धीरे समाप्त हो जाती है। इससे घर के भोजन से अपने आप दूरी बढऩे लगती है।