

तहलका न्यूज,बीकानेर।काशी-बनारस या साक्षात् कैलाश आदि तीर्थस्थली का स्वरूप देखना हो तो बीकानेर में हर्षोल्लाव तालाब अमरेश्वर महादेव मंदिर में देखा जा सकता है।पांच दिवसीय 21 कुंडात्मक रुद्रचंडी महायज्ञ एवं सवा करोड़ शिव पंचाक्षरी मंत्र अनुष्ठान ने मानो क्षेत्र में सकारात्मकता का संचार कर दिया हो और निश्चित् रूप से भगवान आशुतोष भी इस विहंगम दृश्य को देखकर अपने भक्तों पर कृपा बरसा रहे हैं। ज्योतिषाचार्य पं.बाबूलाल शास्त्री ज्योतिष बोध संस्थान के तत्वावधान में छोटी काशी बीकानेर में 21 कुंडात्मक रुद्रचंडी महायज्ञ एवं सवा करोड़ शिव पंचाक्षरी मंत्र का अनुष्ठान चतुर्थ दिवस भी जारी रहा।आयोजक पं.राजेन्द्र किराड़ू ने बताया कि रविवार को चतुर्थ दिवस शाम को भीनासर मुरलीमनोहर धोरा से श्यामसुंदरदासजी महाराज पधारे और आशीर्वचन दिया।श्यामसुंदरदास जी महाराज ने यज्ञ को मुख्य कर्म बताया।गीता के अनुसार प्रत्येक गृहस्थ को यज्ञ करना चाहिए। उन्होंने कहा कि ऋषि-मुनियों व गृहस्थों ने सदैव यज्ञ को महत्व दिया है। यज्ञ की ऊष्मा मनुष्य के अंत:करण पर देवत्व की छाप डालती है।जहाँ यज्ञ होते हैं,वह भूमि सुसंस्कारों की छाप अपने अन्दर धारण कर लेती है और और वहाँ जाने वालों पर दीर्घकाल तक प्रभाव डालता रहता है।प्राचीनकाल में तीर्थ वहीं बने हैं,जहाँ बड़े-बड़े यज्ञ हुए थे।जिन घरों में,जिन स्थानों में यज्ञ होते हैं,वह भी एक प्रकार का तीर्थ बन जाता है और वहाँ जिनका आगमन रहता है,उनकी मनोभूमि उच्च,सुविकसित एवं सुसंस्कृत बनती हैं।पं.राजेन्द्र किराड़ू के आचार्यत्व में 131 वैदिक ब्राह्मण एवं 25 यजमान दम्पती मंत्रजाप एवं महायज्ञ में आहुतियां दे रहे हैं।प्रतिदिन सुबह मंडप पूजन,रुद्राभिषेक सहस्त्रार्चन व पृथक पृथक द्रव्यों से महादेव का अभिषेक किया जा रहा है।शिव महिम्न,रुद्र चंडी पाठ किए जाते हैं।किराड़ू ने यज्ञ की महत्ता बताते हुए कहा कि यज्ञ करने से वर्षा होती है, वर्षा से ही अन्न की उत्पति और अन्न से मनुष्य का पोषण होता है।वेदों में यज्ञ को ही साक्षात् विष्णु का स्वरूप माना गया है।यज्ञ वैदिक मंत्र द्वारा यज्ञ में जो आहुति दी जाती है उससे देवता संतुष्ट होते हैं और यजमान का कल्याण करते हैं।मनुष्य का सम्पूर्ण जीवन यज्ञमय है,प्रत्येक गृहस्थ को पंचमहाभूत यज्ञ करने का सनातन धर्म में नियम है।कार्यक्रम में बीकानेर संस्कृति मंच द्वारा पं.राजेन्द्र किराड़ू का अभिनंदन किया गया।इस अवसर पर पं.जुगलकिशोर ओझा पुजारी बाबा,राजकुमार किराड़ू तथा हृदयरोग विशेषज्ञ डॉ.जयकिशन सुथार का आतिथ्य रहा।कार्यक्रम में मुम्बई से शिवनारायण राठी,इरोड़ से जुगल लढ्ढा,रामगढ़ झारखंड से किशोर जाजू और सूरत से सुशील डागा,मनमोहन डागा,नन्दकिशोर सोलंकी,गिरिराज व्यास,लक्ष्मीनारायण पुरोहित,गणेश व्यास आदि अनेक यजमान दम्पती बाहर से पधारे हैं तथा कुछ स्थानीय यजमान भी सम्मिलित हैं।कर्मकांड का सम्पूर्ण कार्य पं.राजेन्द्र किराड़ू के आचार्यत्व में मुरलीधर पुरोहित,संतोष व्यास,पं.उमेश किराड़ू, गोविन्द किराड़ू,मदनगोपाल व्यास,श्रीलाल किराड़ू,आशाराम किराड़ू एवं नारायणदत्त किराड़ू आदि जुटे रहे। सायंकाल सवा छह बजे संगीतमय आरती की जाती है तथा कार्यक्रम की पूर्णाहुति सोमवार को होगी।
पंडित राजेंद्र किराड़ू को ‘यज्ञिक शिरोमणि’ उपाधि से किया अलंकृत
वैदिक परंपरा के संरक्षण और प्रचार-प्रसार के माध्यम से देशभर में आध्यात्मिक चेतना का प्रसार कर रहे यज्ञाचार्य पंडित राजेंद्र किराड़ू को ऋग्वेदीय राका वेद पाठशाला द्वारा यज्ञिक शिरोमणि की मानद उपाधि से सम्मानित किया गया। यह विशेष सम्मान उनके द्वारा देशभर में संपन्न किए गए विशाल वैदिक यज्ञों,तीर्थ एवं मंदिरों के संस्कार-कार्य, और ज्योतिषीय साधना के माध्यम से बीकानेर का नाम गौरवान्वित करने के उपलक्ष्य में प्रदान किया गया। पाठशाला के प्राचार्य शास्त्री पंडित गायत्रीप्रसाद शर्मा एवं उपप्राचार्य शास्त्री पंडित यज्ञप्रसाद शर्मा के सान्निध्य में ‘यज्ञिक शिरोमणि’ उपाधि का संस्कृत वाचन पं.अरुण पुरोहित ने किया।इस दौरान पंडित मोहित बिस्सा,पंडित हरिश पुरोहित,चिरंजीव जोशी,वेद प्रकाश शर्मा,अभिषेक तिवाड़ी,मारुति पुरोहित,नंदन पालीवाल,भरत दाधीच,नकुल पंचारिया,जीवनदत्त उपाध्याय,सोहनलाल पुरोहित,नारायणप्रसाद शर्मा, शशिकांत झा आदि उपस्थित रहे।


