तहलका न्यूज,बीकानेर। विधानसभा चुनाव में टिकट वितरण के साथ जिस तरह विरोध के स्वर गूंजने लगे है। इसको देखकर ऐसे लगता है कि इस दफा विधानसभा चुनाव के परिणामों का मिजाज कुछ अलग ही रहेगा। भाजपा की पहली सूची के बाद उठ रहे विरोध के स्वर के बीच कांग्रेस अब फूंक फूंक कर कदम रख रही है और सूची जारी होने के बाद विद्रोह के हालात हो उसके लिये तैयारी में जुट गई है। बताया जा रहा है कि कांग्रेस सूची जारी करने से पहले ही दावेदारों को सन्तुष्ट करने के काम में लग गई है। उधर भाजपा ने भी दूसरी सूची जारी करने से पहले एक बार फिर अलग अलग विधानसभा सीटों पर दोबारा आंकलन करना शुरू कर दिया है। सूत्र बताते है कि जिले की छःसीटों सहित शेष रही सीटों पर एक बार फिर पार्टी मंथन कर रही है।ताकि बगावती तेवर यहां भी पांव न पसारे।
वसुन्धरा गुट रख रहा पैनी नजर,बना रहा रणनीति
पहली सूची में वसुन्धरा गुट को तरजीह नहीं मिलने के बाद अब वसुन्धरा गुट के नेता अपनी आगामी रणनीति बनाने में जुट गये है। इसके लिये जयपुर में वसुन्धरा राजे के बंगले पर दो बार बैठकों का दौर हो चुका है। इतना ही नहीं कई वसु समर्थक टिकट नहीं मिलने से नाराज होकर बागी चुनाव लड़ने का मानस भी बना चुके है।
बागियों की रह सकती है भरमार
पिछले विधानसभा चुनाव में कांग्रेस के टिकट वितरण में रोष के साथ ही प्रदेश की पचास सीटों पर बागी उम्मीदवार मैदान में उतरे थे। इसमें से करीब 21 जने गहलोत समर्थक जीतकर भी आएं थे। इन निर्दलियों ने पूरे पांच साल गहलोत का साथ देते हुए सरकार को स्थिर बनाएं रखा था। कुछ ऐसे ही हालात अगर इस दफा देखने को मिले तो निश्चित तौर पर एक बार फिर निर्दलियों की पूछ बढ़ जाएगी और अगर वसुन्धरा राजे के बागी समर्थक अधिक जीतकर आएं तो सता की चांबी भी वसुन्धरा राजे के हाथ होगी।
जानकार मान रहे राजनीति का हिस्सा
कई राजनीतिक जानकार भाजपा के इन हालातों को राजनीति का हिस्सा मान रहे है। उनका कहना है कि टिकट वितरण के बाद बागी होकर चुनाव लड़ने वालों को पहले मनाने का काम होगा। अगर वे नहीं माने तो चुनाव लड़कर जीतने वालों को बाद में गले लगा लिया जाएगा। खैर यह सब राजनीति का हिस्सा हो सकता है। किन्तु राजनीतिक गलियारों में एक चर्चा आम हो चली है कि पार्टी कार्यकर्ता की बजाय सिर्फ सता प्राप्ति के बारे में सोचती है। उसके लिये किसी को टिकट दिया जा सकता है।