जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। जिले की सातों विधानसभा सीटों पर दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों के प्रत्याशियों को अपनों से खतरा मंडराने लगा है। बताया जा रहा है कि चुनावी समर में कांग्रेस व भाजपा के लिये कभी उन्ही की पार्टी का झंडा उठाने वाले बेगाने हुए है। जिसको लेकर चुनाव की जीत हार की गणित में भी राजनीतिकार जुट गये है और इस जुगाड़ में है कि किसी न किसी तरह रूठों को वे मना लें। अगर ऐसा होता है तो सभी सीटों पर मुकाबले रोचक होंगे। ऐसा न होने की स्थिति में परिणामों पर भी इसका असर देखने को मिल सकता है। जिले की सातों विधानसभा सीटों के हालात की बात करें तो अभी तक तश्वीर साफ नहीं है कि आखिर कौन बाजी मारेगा। हालांकि सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी जीत का दावा जरूर कर रहे है। परन्तु मतदाताओं की चुप्पी भी कही न कही उनके डर का बड़ा कारण है। अभी तक मतदाता खुलकर मुखर नहीं हुआ है। ऐसे में यह आंकलन कर पाना अभी जल्दबाजी होगा कि जीत का सेहरा आखिर किसे सिर बंधेगा। वैसे कल नामांकन वापसी के बाद कुछ हद तक धुंध साफ हो सकती है।
बीकानेर पूर्व-पश्चिम में रालोपा,निर्दलियों ने मचाई खलबली
शहर में चर्चा ए आम है कि दोनों ही दलों के लिये रालोपा व निर्दलिय प्रत्याशी रोड़ा बने हुए है। नामांकन दर्ज होने के बाद पार्टियों के अधिकृत प्रत्याशियों में ऐसी खलबली भी मची हुई है। और उनके समर्थक जगह जगह इस बात की चर्चा करते नजर आते है कि आखिर कौन कितना और किसका वोट खराब करेगा। जहां बीकानेर पूर्व में एड मनोज विश्नोई तो पश्चिम में अब्दुल मजीद खोखर ज्यादा चर्चा में है। तो कई जाति उम्मीदवार भी वोटर्स को कितने प्रभावित करेंगे। इसको लेकर भी आंकलन किया जाने लगा है। देर रात तक लोग चौक चौराहों पर जीत हार का गणित बैठाते नजर आ रहे है। कोई दिलीप जोशी की तो कोई भगवान सिंह की चर्चा करता नजर आता है।
कोलायत में भाटियों की जीत में पंवार का पावर
इधर कोलायत सीट भी हॉट सीट बनी है। जहां दो भाटियों में जीत की जंग है। किन्तु यहां पूर्व विधायक रेवन्तराम पंवार ने अपने पावर से भाजपा-कांग्रेस को सोचने के लिये मजबूर कर दिया है। बताया जा रहा है कि इस सीट का राजनीतिक समीकरण पंवार पर टिका है। देखना होगा कि वास्तव में पंवार का पावर रंग लाएगा या मतदाता अपने मूल पार्टियों की ओर ही खींचे चले आएंगे।
लूणकरणसर तीन जाट नेताओं के बीच ब्राह्मण की हुंकार
लूणकरणसर सीट पर तीन जाट नेताओं ने तहसील के राजनीतिक पारे को गर्मा दिया है। यहां जहां कांग्रेस अपने ही वरिष्ठ नेता से दो दो हाथ करने में लगी है तो वहीं भाजपा के लिये ब्राह्मण चेहरे के रूप में मैदान में उतरे प्रभूदयाल रोडा बने हुए है। हालांकि पिछली दफा भी प्रभुदयाल चुनाव मैदान में थे। किन्तु इस बार वीरेन्द्र बेनीवाल के चुनावी मैदान में उतरने से मुकाबला फिलहाल चतुष्कोणीय होता नजर आ रहा है। अब आम मतदाता किस ओर रूख करेगा। यह भविष्य के गर्म भी छिपा है।
नोखा में निर्दलियों-झंवर के भंवर में फंसे दोनों दल
जिले की नोखा विधानसभा सीट पर एक बार फिर विकास मंच दोनांे ही राजनीतिक पार्टियों के जीत के रथ का बाधक बना हुआ है। हालात यह है कि दोनों ही दल जोर अजमाईश कर जीत की लय को बरकरार रखने की कोशिश में है। लेकिन यहां एक ओर निर्दलिय उम्मीदवार पार्टियों को परेशान कर सकता है।
श्रीडूंगरगढ़ में निर्दलियों ने बदला राजनीतिक मौसम
दीपावली पर्व के साथ ही गुलाबी ठंड की शुरूआत होने के साथ ही श्रीडूंगरगढ़ की राजीति में गर्माहट पैदा हो गई है। यहां कांग्रेस भाजपा व माकपा प्रत्याशियों के लिये निर्दलिय सिरदर्द बनते नजर आ रहे है। अगर नाम वापसी के साथ ये मैदान में टिके रहे तो इस विधानसभा का राजनीतिक परिदृश्य बदला बदला नजर आ सकता है। अब यहां के परिणाम की धुरी और मिजाज भी पार्टियों से नाराज नेताओं पर टिक गया है।
खाजूवाला में अस्तित्व की लड़ाई
खाजूवाला विधानसभा सीट पर विवादों में रहने वाले मंत्रीजी के लिये अस्तित्व का सवाल हो गया है। इस सीट पर हालांकि सीधा मुकाबला नजर आ रहा है। किन्तु दोनों ही दलों के लिये यह सीट नाक का सवाल है। एक ओर भाजपा प्रत्याशी का केन्द्रीय मंत्री से नया नया प्रेम और दूसरी ओर कांग्रेस प्रत्याशी का केन्द्रीय मंत्री को चैलेन्ज यक्ष सवाल बना हुआ है।
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