तहलका न्यूज,बीकानेर। जिले की सरकारी स्कूलों और छात्रावासों में अब निजी कंपनियों के उत्पादों की जगह सरकारी एजेंसियों के निर्मित स्वदेशी सामान का ही उपयोग होगा। इस संबंध में शिक्षा विभाग ने महत्वपूर्ण आदेश जारी किए हैं। अधिकारियों के अनुसार इस पहल से लोकल फॉर वोकल को मजबूती मिलेगी और लाखों महिलाओं एवं किसानों की आजीविका को सहारा मिलेगा।इस सम्बन्ध में माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने आदेश जारी कर सभी संयुक्त निदेश,सीडीईओ और एडीपीसी को अनुपालना के निर्देश दिए हैं। आदेश के तहत सरस डेयरी,राजीविका,राजफेड और खादी ग्रामोद्योग बोर्ड समेत अन्य सरकारी एजेंसियों से खरीद करने पर इन संस्थाओं के कारीगरों,किसानों और स्वयं सहायता समूहों की आय बढ़ेगी।फैसले से सरस डेयरी से जुड़ी दुग्ध उत्पादक महिलाओं से लेकर राजीविका के तहत काम करने वाली स्वयं सहायता समूहों की सदस्यों की आय बढ़ेगी। स्कूलों और छात्रावासों की बड़ी मांग को पूरा करने के लिए स्थानीय स्तर पर उत्पादन बढ़ेगा, जिससे नए रोजगार के अवसर पैदा होंगे। सरकारी एजेंसियों से खरीद के कारण उत्पादों की गुणवत्तासरकारी एजेंसियों से खरीद के कारण उत्पादों की गुणवत्ता सुनिश्चित होगी और खरीद प्रक्रिया में पारदर्शिता भी बनी रहेगी।

यहां से खरीदे जाएंगे सामान
सरस डेयरी: दूध, दही, घी, पनीर और मिठाइयां।

राजीविका: पापड़,आचार,मसाले,हर्बल उत्पाद,हस्तशिल्प और स्टेशनरी।

राजफेड:खाद्य अनाज,दालें,खाद्य-बीज और उपभोक्ता वस्तुएं।

खादी एवं ग्रामोद्योग बोडर्: खादी वस्त्र,ऊनी कपड़े,हैंडलूम,हर्बल साबुन और अगरबत्ती।

हैंडलूम विकास निगम: कालीन,दरियां, बैग,राजस्थानी परिधान और सजावटी सामान।

उपभोक्ता सहकारी संघ: स्टेशनरी,राशन और दैनिक उपयोग की वस्तुएं।