तहलका न्यूज,बीकानेर। सरकार की ओर से बनाई गये सेवा नियमों और सरकार के अधिकारियों तथा मंत्री के आदेशों को दरकिनार कर अपने कानूनों को चलाने वाले शिक्षा विभाग के अधिकारियों के खिलाफ आखिरकार एक निलंबित कार्मिक को धरने जैसा कदम उठाना पड़ा। जबकि कार्मिक की ओर से खुदबुर्द हुए सामान की रिकवरी की भी हामी भर ली। उसके बाद कार्मिक पिछले साढ़े तीन साल से अपनी बहाली को लेकर शिक्षा विभाग के गलियारों में चक्कर लगा रहा है। जिससे ऐसा प्रतीत होता है कि यहां बैठने वाले अधिकारी या तो सरकार से उपर है या मालिकाना हक जताते हुए सरकार के सेवा नियमों को भी धता बता रहे है। अपनी सुनवाई नहीं होने से आहत एक निलंबित कार्मिक आखिरकार एक सप्ताह से निदेशालय के बाहर धरना लगाकर बैठा है। बताया जा रहा है कि कैलाश ओझा नाम का यह कार्मिक पिछले साढ़े तीन साल से निलंबित चल रहा है। जिसकी विभागीय जांच भी हो चुकी है। यहां तक तत्कालीन शिक्षा मंत्री व शिक्षा सचिव ने भी इसकी बहाली के आदेश शिक्षा निदेशक को दे दिए थे। उसके बाद भी शिक्षा निदेशकों ने किसी भी आदेश को नहीं माना और निलंबित कार्मिक को चक्कर लगाने को मजबूर कर दिया। मजे की बात तो यह है कि सरकार के सेवा नियमों में दो वर्ष से ज्यादा उस कार्मिक को निलंबित नहीं रखा जा सकता। जिसने न्यायालय में वाद दायर नहीं किया हो। इस मामले में भी ओझा ने इस प्रकरण में न्यायालय की शरण नहीं ली। उसके बाद भी उन्हें बहाल नहीं किया गया है।
निदेशालय के आगे बैठा है धरने पर
लाखों रूपये के सामान के खुदबुर्द मामले में पिछले साढ़े तीन साल से निलंबित चल रहे शिक्षा विभाग के कार्मिक कैलाश ओझा ने सुनवाई नहीं होने पर निदेशालय के आगे धरना शुरू कर दिया है। ओझा का कहना है कि पूर्व शिक्षा मंत्री डॉ बी डी कल्ला द्वारा बहाल करने के आदेश देने के बाद प्रमुख शासन सचिव स्कूल शिक्षा नवीन जैन द्वारा 6 दिसम्बर 23 को रिकवरी करते हुए तीन दिनों में बहाली के निर्देश देने के उपरान्त भी साढ़े तीन साल से पुन:बहाल नहीं किया जा रहा है। जबकि निलंबति बाबू की ओर से नौ लाख की रिकवरी अपने वेतन से करने की हामी भी विभागीय अधिकारियों के समक्ष कर दी थी। उसके बाद भी शिक्षा विभाग के आलाधिकारी उनकी सुनवाई व सरकारी आदेशों की अनुपालना नहीं कर रहे है। निलंबित बाबू का कहना है कि सरकार के नियमानुसार भी किसी कार्मिक को दो वर्ष से अधिक निलंबित नहीं रखा जा सकता। धरने का समर्थन करने प्रदेशभर के शिक्षा विभागीय मंत्रलायिक कर्मचारी संघ के पदाधिकारी भी पहुंचे। इनमें कमलनारायण आचार्य,राजेश व्यास भी शामिल रहे।
कमेटियों का गठन कर मामला उलझाने का आरोप
कर्मचारी नेताओं का कहना है कि विभागीय जांच में बैठे अधिकारियों व कार्मिकों द्वारा उच्चाधिकारियों के आदेशों की अवेहलना करते हुए जांच से कई प्रकार के पत्र जारी किये जा रहे है। प्रारंभिक शिक्षा के उपनिदेशक टीकाराम व दो अन्य को जांच अधिक ारी बनाना,पुनरावलोकन समिति गठन करने के लिये पत्र जारी करना। जबकि राज्य सरकार ने अपने स्तर पर कमेटी गठित कर मुख्य लेखाधिकारी से जांच करवा भी ली है। हालात यह है कि आज दिनांक तक यह तय नहीं किया गया है कि पुनरावलोकन समिति कब गठित होगी।
क्या कहता है नियम
निलंबित कार्मिक के विरुद्ध चल रही विभागीय जाँच / जाँचों पर व्यक्तिगत ध्यान दिया जाना चाहिए व अंतिम रूप से 6 माह में निपटा दिया जाना चाहिए। यदि कोई कर्मचारी 2 वर्ष से अधिक की अवधि तक निलंबित रहता है और उसे न्यायालय के सम्मुख अभियोग लगाकर प्रस्तुत नहीं किया गया तो उसके निलंबन आदेशों को वापस लिया जाएगा। परंतु यह जांच पश्चात् निर्णय पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगा। जहां दोषी कार्मिक के विरुद्ध दंड संबंधी कार्यवाही न्यायालय में चल रही हो और 5 वर्ष से अधिक निलंबन चल रहा हो,तो निलंबन आदेश को वापस लिया जाएगा तथा उसी स्थान पर कर्तव्य संपादन हेतु लगाया जाएगा। जहां से जिस दिन निलंबित किया गया था। ऐसी कार्यवाही भविष्य में देय वेतन पदोन्नति पर प्रतिकूल प्रभाव नहीं डालेगी तथा निलंबन काल की अवधि बाबत् कर्तव्य पर तक तक नहीं माना जाएगा, तब तक कि न्यायालय द्वारा उसे दोषमुक्त नहीं कर दिया गया हो।