तहलका न्यूज,बीकानेर। वैद्य मघाराम कॉलोनी में बने श्मसान घाट पर शुक्रवार को शवों के अंतिम संस्कार के लिए जगह कम पड़ गई। हनुमान सोनी और उसकी पत्नी विमला के साथ ही तीन बच्चों के शवों का अंतिम संस्कार करने के लिए दो अलग-अलग जगह चितायें लगानी पड़ी। भाई बहनों की तीन अलग-अलग चिता एक कतार में लगी तो माता-पिता को कुछ दूरी पर विदाई दी गई। पांच शवों के अंतिम संस्कार के दौरान पूरी तरह सन्नाटा पसरा रहा।गुरुवार की शाम पांच शवों को अंत्योदय नगर के बी ब्लॉक स्थित किराए घर से पीबीएम अस्पताल की मोर्चरी पहुंचाए गए थे। शुक्रवार सुबह इन शवों को पीबीएम अस्पताल के डॉक्टर्स की टीम ने पोस्टमार्टम किया। इसके बाद एक साथ पांच अलग-अलग एम्बुलेंस में शवों को चौंखूटी रेलवे क्रासिंग के पास स्थित हनुमान सोनी के भाई के घर पहुंचाया गया। जहां परम्परा की औपचारिकता की गई और वहीं से गाडिय़ों में शवों को वैद्य मघाराम कॉलोनी के पास स्थित श्मसान घाट पहुंचाया गया। यहां पहले से पांच अलग-अलग जगह अंतिम संस्कार की व्यवस्था थी। इस परिसर में एक तरफ हनुमान और उनकी पत्नी विमला के शव पंचतत्व में विलीन हुए तो दो भाई मोहित-ऋषि व बहन गुडिय़ा का एक कतार में अलग-अलग अंतिम संस्कार किया गया। हनुमान सोनी के रिश्तेदारों ने ही अग्नि को समर्पित किया।

हर तरफ सन्नाटा
पुलिस और प्रशासन ने पोस्टमार्टम के लिए पहले ही सारी व्यवस्था कर ली थी। रात को ही डॉक्टर्स का बोर्ड बना दिया गया। सुबह-सवेरे जल्दी अंतिम संस्कार की प्रक्रिया शुरू गई और कुछ ही देर में शवों को एम्बुलेंस में डालकर पीबीएम अस्पताल से रवाना कर दिया गया। इस दौरान मोर्चरी के आगे परिजन और सोनी समाज के लोग पहुंचे। घर पर भी बड़ी संख्या में लोग एकत्र थे। आस पड़ौस के लोगों की भारी भीड़ रही।

अंत्योदय नगर के घर में सन्नाटा
उधर, जिस घर में सोनी परिवार ने सामुहिक आत्महत्या की थी, वहां पूरी तरह सन्नाटा था। घर पर अब ताला लगा हुआ है और चाबी भी पुलिस के पास है। सोनी परिवार के शव यहां नहीं आने के कारण शुक्रवार सुबह से इस घर के आसपास कोई नहीं था। पड़ौसियों में इस परिवार को लेकर चर्चा दूसरे दिन भी जारी रही। घर के सामने ही करणी मंदिर है, वहां भी भक्तों के बीच में यह हादसा ही चर्चा का विषय रहा।

स्वर्णकार समाज के प्रतिष्ठान रहे बंद
उधर दुखद घटना को लेकर स्वर्णकार समाज के लोगों ने अपने प्रतिष्ठान बंद रखे। कोतवाली थाना इलाके,तेलीवाड़ा सहित जहां कही भी समाज के व्यापारी वर्ग की दुकानें थी। वे सभी बंद रही। उससे पहले सजातिय लोग पीबीएम की मोर्चरी इकठ्ठा हुए।