








तहलका न्यूज़,बीकानेर । आज पुलिस थाना नयाशहर के एक लुट प्रकरण मे पुलिस द्वारा आरोपितों को न्यायालय मे प्रस्तुत किया जिसमे एक अभियुक्त की और एडवोकेट ईरशाद अन्जुम काजी ने जमानत याचिका पेश की और न्यायालय के समक्ष कथन किया की पुलिस द्वारा इस प्रकरण मे आरोपित को जानबूझकर सड़कों पर घुमाकर कानून एवं मानव अधिकारों का उल्लंघन किया गया है, किसी आरोपी या अभियुक्त व्यक्ति को सार्वजनिक रूप से सड़कों पर घुमाना, मीडिया या जनता के सामने प्रदर्शित करना, भारतीय संविधान और मानवाधिकार दोनों का घोर उल्लंघन है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को “जीवन एवं व्यक्तिगत स्वतंत्रता” का अधिकार प्रदान करता है। इसमें मानव गरिमा का संरक्षण भी सम्मिलित है। पुलिस द्वारा आरोपी को सरेआम घुमाना या अपमानित करना उसकी गरिमा को ठेस पहुँचाता है, जो सीधे अनुच्छेद 21 का उल्लंघन है और अनुच्छेद 14 – समानता का अधिकार देता है। आरोपी के साथ ऐसा व्यवहार भेदभावपूर्ण और अन्यायपूर्ण है, किसी आरोपी को सड़कों पर घुमाकर शर्मिंदा करना न तो भारतीय दंड प्रक्रिया संहिता (CrPC) में अधिकृत है, न ही यह किसी कानून द्वारा स्वीकृत है। ऐसा कार्य संविधान, मानवाधिकार, और सर्वोच्च न्यायालय के आदेश — सभी के प्रतिकूल है। यह न केवल गैरकानूनी है, बल्कि पुलिस के दुरुपयोग (abuse of power) का उदाहरण भी है अब उक्त प्रकरण मे जमानत याचिका की सुनवाई आगामी की जाऐगी।