तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो केन्द्र व राज्स सरकार हर व्यक्ति की सामाजिक सुरक्षा के दावे कर समाज कल्याण विभाग की ओर से अनेक योजनाएं चलाने का दावा कर रही है और करोड़ों लोगों को सामाजिक सुरक्षा की योजनाओं से लाभान्वित होने की वाही वाही भी लूट रही है। लेकिन सरकार व गैर सरकारी विभागों में काम करने वाले संविदाकर्मियों की जिन्दगी दावं पर लगी है। इस ओर न तो केन्द्र सरकार का ओर न ही राज्य सरकार का ध्यान जा रहा है। जिसके चलते एक संविदाकर्मी के साथ किसी प्रकार की दुर्घटना होने की स्थिति में उसके आश्रित को इसका कोई परिलाभ नहीं मिलता। हालात तो यह है कि उस संविदाकर्मी को भी संबंधित संस्थान या ठेका फर्म की ओर से आर्थिक सहायता नहीं दी जाती। ऐसे कई मामले प्रकाश में आएं भी है कि संविदा पर लगे कार्मिकों के असमायिक मौत पर उसके आश्रित दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है। ऐसा ही हाल राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज बीकानेर के सैकड़ों अशैक्षणिक कार्मिकों का है। जिनकी ठेका कंपनी की ओर से न तो मेडिकल पॉलिसी और न ही ग्रुप इश्योरेंस हो रखी है। जिसके अभाव में करीब एक सौ पचास कर्मचारी खतरे की जिन्दगी में कामकाज कर रहे है। बताया जा रहा है कि 1999 से विभिन्न संवर्गों यथा मंत्रालयिक,तकनीकी,एवं चतुर्थ श्रेणी अशैक्षणिक कार्यों में कार्मिक लगे है। इन कार्मिकों को श्रम विभाग के नियमानुसार ईपीएफ एवं ईएसआई का भुगतान किया जा रहा था। लेकिन पिछले दो वर्षों से ईएसआई की कटौती भी बंद कर दी गई। जिसका कारण 18000 रूपये से अधिक मासिक वेतन होना बताया गया। ऐसा होने से कार्मिकों व उनके आश्रितों के बीमारी में किसी प्रकार का मेडिकल लाभ नहीं मिल रहा है।

ईसीबी के अकाल निधन वाले कार्मिकों के परिजनों को नहीं मिला लाभ
गौर करने वाली बात तो यह है कि पिछले दो सालों में ईसीबी कॉलेज के करीब चार कार्मिकों का असामयिक निधन हो गया। जिनकी ईएसआई कटौती नहीं थी। इस वजह से इनके आश्रितों को किसी प्रकार का कोई परिलाभ नहीं मिला। जिससे आज उनके परिवार की स्थिति दयनीय बनी हुई है। सूचना यह भी है कि कुछ मृतक के आश्रितों को तो पुन:महाविद्यालय में अनुकंपा नौकरी तक नहीं दी और उन्हें ईपीएफ कटौती के आधार पर जो मानदेय दिया जा रहा है वो भी अपर्याप्त है। जिससे आजीविका चला पाना मुश्किल है।

एम्बूलेंस बीमार,समय पर नहीं हो पाता उपचार
विडम्बना तो यह है कि बीकानेर तकनीकी विवि और ईसीबी कॉलेज में सैकड़ों का स्टाफ होने के साथ साथ हजारों विद्यार्थी भी अध्ययन कर रहे है। लेकिन कॉलेज में एम्बूलेंस व्यवस्था ही खुद बीमार पड़ी है। जिसके कारण गंभीर बीमार को अस्पताल तक ले जाना टेढ़ी खीर है। बताया जा रहा है कि एम्बूलेंस व्यवस्था नहीं होने से कुछ माह पूर्व योगेश पारीक की अकाल मृत्यु हो गई। पारीक की तबीयत बिगडऩे पर उन्हें एम्बूलेंस की बजाय मोटरसाइकिल पर अस्पताल ले जाया गया। देरी और सुविधा के अभाव में पारीक की मौत हो गई।

अशैक्षणिक कर्मचारी संघर्ष समिति ने सौंपा ज्ञापन
उधर महाविद्यालय में लंबे समय से अशैक्षणिक कार्मिकों की मेडिकल पॉलिसी व ग्रुप इश्योरेंस सुविधा शुरू करने को लेकर अध्यक्ष संतोष पुरोहित के नेतृत्व में प्राचार्य को ज्ञापन सौंपा गया। जिसमें कार्मिक के साथ अकाल दुर्घटना होने के हालात को देखते हुए इस व्यवस्था को तत्काल करने की मा ंग उठाई गई है। ज्ञापन देने वाले शिष्टमंडल में महामंत्री दिनेश पारीक,जयकि शन पुरोहित,सुरेन्द्र जाखड़,नरेन्द्र व्यास,अनिल पुरोहित,चंद्रवीर सियाग,शिव शंकर पारीक,पवन शेखावत,सुरेन्द्र जोशी,मोहन पुरोहित,नरेन्द्र आचार्य सहित अनेक कर्मचारी शामिल रहे।