




तहलका न्यूज,बीकानेर। शहर व देहात बीजेपी के नये अध्यक्षों की घोषणा के दो माह बाद भी अभी तक नई टीम का गठन नहीं हो पाया है। जिसके चलते पुराने पदाधिकारी ही कार्यक्रमों में अपनी उपस्थिति दर्ज करवाकर कोरम पूरा करते नजर आ रहे है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार पिछली बार की तरह इस दफा भी नई टीम के गठन में देरी की संभावना है। जिसका प्रमुख कारण राष्ट्रीय अध्यक्ष का चुनाव माना जा रहा है। बताया जा रहा है कि भाजपा राष्ट्रीय अध्यक्ष चुने जाने के बाद ही प्रदेश कार्यकारिणी घोषित की जाएगी।साथ ही प्रदेश कार्यकारिणी के बाद ही जिलों में नई कार्यकारिणी आएगी। इसलिए प्रदेश और शहर में नई कार्यकारिणी को लेकर कई तरह के कयास लगाए जा रहे हैं।बात अगर शहर और देहात की नई कार्यकारिणी को लेकर की जाए तो नए जिलाध्यक्षों के सामने अच्छी खासी चुनौती रहने वाली है। दोनों नये अध्यक्षों को नई और पुरानी कार्यकारिणी को लेकर साथ चलना होगा। इसके साथ ही क्षेत्र वर्ग सहित सोशल इंजीनियरिंग को भी साधना होगा। सूत्रों की माने तो नई कार्यकारिणी में युवा और अनुभवी चेहरों के साथ ही ईमानदार कर्मशील और संघ निष्ठ चेहरों को तरजीह दी जाएगी। इसके साथ ही पुरानी कार्यकारिणी में सक्रिय रहे कुछ नेताओं को भी नई कार्यकारिणी में जगह दी जा सकती है। यह भी चर्चा है कि नई कार्यकारिणी में 50 से कम उम्र वाले नेताओं व कार्यकर्ताओं को टीम में वरीयता दी जाएगी।
संगठनात्मक अनुभव न होना आ रहा है आड़े
बताया जा रहा है कि शहर अध्यक्ष की षार्षद से राजनीति में एंट्री के बाद स ंगठन में महिला मोर्चा के अध्यक्ष का दमदार कार्यकाल न रहना। कही न कही संगठन पर कमजोर पकड़ की ओर इशारा कर रहा है। जिसके चलते कई नये पुराने नेताओं व पदाधिकारियों ने कार्यक्रमों से दूरियां बना रखी है। बस ऐसे नेता मंत्रियों व प्रदेश के आला पदाधिकारियों के आगमन पर ही अपनी उपस्थिति दर्शाते दिख रहे है।
पिछली बार भी आठ माह बाद बनी थी नई टीम
मंजर यह है कि पिछले दफा भी नई टीम बनाने में पार्टी के शीर्षस्थ नेताओं के पसीने छूट गये थे। नई टीम के गठन को आठ माह लग गये थे। इस बार भी अब तक दो माह से ज्यादा का समय बीत चुका है। जिसकी वजह से अभी दोनों अध्यक्ष एकला चलो की स्थिति में है।
पूर्व विधायकों को भी नहीं किया जाता है याद
हालात यह है कि पार्टी में टीम गठन के अभाव में आयोजन भी नहीं हो रहे है। वैसे थोपे गये आयोजनों की तो कोरम पूरी की जा रही है। लेकिन पूर्व विधायक को जयंती व पुण्यतिथि पर उन्हें याद तक नहीं किया जा रहा है। ऐसा पहली बार नहीं कई बार हो चुका है।