तहलका न्यूज,बीकानेर। पीबीएम अस्पताल में प्रतिदिन आने वाले हजारों लोगों की प्यास बुझाने के उद्देश्य से भामशाहों की ओर से गर्मी के दिनों में ठंडे पानी की व्यवस्था शुरू की जाती है। इसी कड़ी में मंगलवार को श्रीकृष्ण सेवा संस्थान की ओर से पीबीएम परिसर में ठंडे पानी के कैम्परों से पेयजल की आपूर्ति का शुभारंभ संभागीय आयुक्त वंदना सिंघवी ने किया। इस मौके पर सिंघवी ने कहा कि शीतल जल की सेवा का यह क ार्य पुण्यदाई एवं सराहनीय है। भीषण गर्मी में यह पानी हजारों लोगों के गले को तर ही नहीं करेगा,उन्हें राहत के साथ जीवन ऊर्जा भी प्रदान करेगा। एडीएम दुलीचंद मीणा ने कहा कि जल का संरक्षण और सही उपयोग करना हम सभी का कर्तव्य है। पानी को व्यर्थ न बहायें। भीषण गर्मी में यही जल लोगों की प्यास बुझाता है। ऐसे में श्रीकृष्ण सेवा संस्थान की सेवा का यह प्रकल्प अन्य भामशाहों के लिये मील का पत्थर साबित होगा। सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य डॉ गुंजन सोनी ने कहा कि भामाशाहों और दानदाताओं का सहयोग पीबीएम अस्पताल के लिए हमेशा उपयोगी साबित हुआ है। सेवा भाव बीकानेर के कण-कण में है। भामाशाहों के इसी सेवाकार्य से पीबीएम नर सेवा नारायण सेवा के भाव का परिलक्षित कर रहा है। प्रथम दिन की सेवार्थ करने वाली डॉ स्वाति फलोदिया कहा कि उन्हें जन सेवा के कार्यों से आत्मिक संतोष और आन ंद मिलता है। सेवा का यह सिलसिला निरंतर जारी रहेगा। इस अवसर पर पीबीएम अस्पताल अधीक्षक डॉ पी के सैनी,डॉ एल के कपिल,नर्सिग स्कूल के प्रधानाचार्य अब्दुल वाहिद,समाजसेवी मोहन सुराणा,जुगल राठी,भारत भूषण गुप्ता, बैंक आफ बड़ौदा के चन्द्र सिंह चौहान,भैरजी सोनी,संजय कुमार,मनीष लांबा,मांगीलाल कुकरा,महावीर मौसूण,बाबूलाल ,गिरिराज मांडण,विष्णु मौसूण,कमल गहलोत,ओमप्रकाश बुटण,विजय सिंह कडेल आदि ने मरीजों व उनके परिजनों को जलसेवा कर पुण्य कमाया। श्रीकृष्ण सेवा संस्थान के अध्यक्ष श्यामसुन्दर सोनी ने बताया कि पिछले 15 वर्षों से पीबीएम अस्पताल के मर्दाना,ट्रोमा सेन्टर,कैंसर विभाग के आगे यह जलसेवा लगाई जा रही है। अस्पताल परिसर में प्रति दिन करीब 10 हजार मरीज तीमारदारों की आवाजाही होती है। दूर दराज से करीब 6 हजार से अधिक रोगी तो आउट डोर में चिकित्सक परामर्श लेने आते हैं। वहीं करीब 4 हजार से अधिक मरीज व तीमारदार वार्डों में रहते हैं। जिनके लिये तीन सौ से चार सौ पानी के कैम्पर से ठंडे जल की व्यवस्था भामशाहों के सहयोग से की जाती है। जो चार माह के करीब चलेगी।