तहलका न्यूज,बीकानेर। कृषि एवं उद्यानिकी विभाग से सेवानिवृत्त निदेशक डॉ. शरद गोधा ने कहा कि वेस्ट कचरे का उचित प्रबंधन कर ने केवल कृषि व उद्यानिकी में खाद के रूप में काम लिया जा सकता है। बल्कि पर्यावरण को शुद्व रखा जा सकता है। सर्किट हाउस में आयोजित प्रेस वार्ता में जानकारी देते हुए गोधा ने कहा कि इस नवीन व पर्यावरण फ्रेन्डली तकनीक में ना तो प्लास्टिक की रिसाईकिल की जरूरत है ना ही सडाने की। इतना ही नहीं घरेलू किसी प्रकार का कचरा घर के बाहर फेंकने की आवश्यकता भी नहीं है। इससे आने वाली पीढ़ी के लिए मिट्टी और वर्ष भर जैविक तरीके से तैयार गमले में सब्जियां,फल-फूल व शोभाकारी पेड पौधे लगा सकते हैं। डॉ गोधा ने बताया कि वर्तमान की सबसे बड़ी समस्या कचरा प्रबंधन पर था। आज के वैश्विक दौर में रसोई से निकलने वाला कचरा,प्लास्टिक की थैलिया, प्लास्टिक पाऊच,रद्दी कागज, गत्ते के डिब्बे, अन्य बायोवेस्ट,लोहे के टुकड़े इत्यादि प्रत्येक घर से भारी मात्रा में निकलते है। यह कचरा विभिन्न डस्टबिन यार्ड में होते हुए अन्तोगत्वा किसी खुले स्थान पर डाला जाता है। ऐसे में शहर तथा हर जगह कचरे के ढेर नजर आते है। इस कारण से कई पशु-पक्षी अपना जीवन तक गंवा देते है। कचरे के सडऩे से उसकी बदबू से पर्यावरण प्रदूषित होता है। सरकारें कचरे के प्रबंध के लिए और इसके निस्तारण के लिए भारी राशि खर्च करती है। फिर भी इस कचरे का निस्तारण एक बहुत बड़ी चुनौती मानव जाति के लिए है। उन्होंने बताया कि वे पिछले 4 माह से तकनीकी रूप से कचरे के प्रबन्धन पर कार्य करते हुए इनसे विकसित तकनीक का प्रदर्शन कर आमजन को इसकी तकनीक को वैज्ञानिक पद्धति से समझा रहे है। ताकि इस वेस्ट कचरे का उचित प्रबंधन कर कृषि व उद्यानिकी में उपयोग लें। इस दौरान उन्होंने गमलों में 5 पौधे रोपित किये गये। इन गमलों में प्लास्टिक की थैलिया,प्लास्टिक पाऊच,रद्दी कागज,प्लास्टिक की बोतले एवं रसोई से निकलने वाला सारा कचरा उपयोग में लिया गया। सभी प्रकार के घरेलू कचरे का बखूबी उपयोग करते हुए बिना किसी रसायन या कैमिकल के सारा कचरा व्यस्थित रूप से उपयोग मे ले लिया गया। डॉ. गोधा का क हना है कि इसे सार्वजनिक रूप से जो भी इच्छुक हो बताया जायेगा । जन-जन में इसका व्यापक स्तर पर प्रचार कर सभी में फैले हमारे गांव, हमारे शहर, हमारा मौहल्ला, हमारी सड़के व हमारा घर कचरा मुक्त हो सके एवं हम एक साफ सुथरे वातावरण में अपना जीवन जी सके। आज गुलाब देशी, गुलाब गंगानगरी, गुलाब पुष्करी, थार अनार, केला, सदाबहार, पत्थरचट्टा, चांदनी, नागदूव, गुडहल इत्यादि के 51 पौधों को 51 सीमेन्ट मिट्टी के गमलों में लगाए गए जो कि सर्किट हाउस बीकानेर परिसर में देखे जा सकते है।