




तहलका न्यूज,बीकानेर। होलिका दहन का त्योहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीकात्मक त्यौहार है। होलिका दहन के दौरान घर में सुख-संपत्ति की कामना की जाती है। मान्यता है कि होलिका दहन से घर से नकारात्मक ऊर्जा दूर होती है। इसलिए पूरे श्रद्धा भाव से होलिका दहन करना चाहिए। होलिका दहन का मुहूर्त किसी भी अनुष्ठान व उत्सव आदि के मुहूर्त से ज्यादा महत्वपूर्ण होता है । किसी उत्सव व अनुष्ठान का मुहूर्त गलत समय पर हो जाए तो उसके शुभ फल की प्राप्ति नहीं होती है। लेकिन होलिका दहन यदि उपयुक्त समय पर नहीं हो तो उसकी पीड़ा से सभी आमजन प्रभावित होते हैं।धर्मशास्त्रों द्वारा विभिन्न परिस्थितियों में होलिका दहन हेतु मुहुर्त शोधन के नियमानुसार होलिका दहन फाल्गुन शुक्ल पूर्णिमा तिथि के पूर्वार्द्ध को छोड़कर उत्तरार्ध्द में यानी भद्रा रहित प्रदोष काल की पूर्णिमा में किया जाना सर्वश्रेष्ठ माना जाता है। इसको लेकर ज्योतिषविदों की अलग अलग राय है।
क्या कहते है ज्यातिषाचार्य
गणेश पंचागकर्ता पं राजेन्द्र किराडू ने बताया कि माला घोलने का समय दोपहर एक बजे से सारा दिन श्रेष्ठ है। वहीं होलिका दहन रात्रि 11.10 बजे के बाद किया जाएगा। उन्होंने बताया कि पूर्णिमा व्रत 14 मार्च को,जौ बीज 15 मार्च को शाम 4 बजे बाद तथा सूरज रोटे का व्रत 16तारीख को होगा। वहीं ज्योतिषचार्य पं भैरूरतन बोहरा के अनुसार 13 मार्च गुरुवार को पूर्णिमा प्रात: 10:35 बजे प्रारंभ होकर 14 मार्च को दिन में 12:23 बजे तक है। 13 मार्च को रात्रि 11:26 तक पूर्णिमा का पूर्वार्द्ध यानि भद्राकाल है। यदि प्रदोष काल भद्रा रहित न मिले तो भद्रा के पश्चात मध्य रात्रि से पूर्व होलिका दहन किया जाना शुभ होता है।इसके अनुसार बीकानेर (राजस्थान) के लिए 13 मार्च की रात्रि 11:26 से 12:46 तक होलिका दहन मुहूर्त है।
राजस्थान में होलिका दहन मुहूर्त