जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। प्रदेश में इस साल होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों की प्रमुख राजनीतिक दल कांग्रेस व भाजपा ने तैयारियां जोर शोर से शुरू कर दी है। जहां कांग्रेस ने गुपचुप सर्वे करवाना प्रारंभ कर प्रत्याशियों की फेरिहस्त बनानी प्रारंभ क र दी है। वहीं भाजपा जातिय संतुलन को साधकर प्रदेश में सरकार बनाने की जुगत में जुट गई है। हालांकि भाजपा के अन्दरूनी सर्वे में प्रदेश में उसके हालात कुछ ज्यादा अच्छे नजर नहीं आ रहे। जिसके चलते अब भाजपा जातिय समीकरण के जरिये सभी को खुश कर चुनावी वेतरणी को पार करने में जुटी है। इसके लिये तीन प्रयोग भाजपा कर चुकी है। प्रदेशाध्यक्ष पद पर ब्राह्मण चेहरा लाकर ब्राह्मणों का साधने का प्रयास किया गया है तो राजपूतों को अपने पक्ष में करने के लिये राजेन्द्र राठौड़ को नेता प्रतिपक्ष बना गया है। जाट समाज के खीसकते जनाधार को अपने साथ रखने के लिये सतीश पूनिया को उपनेता बनाकर जाट,राजपूत व ब्राह्मणों को साधने की कोशिश भाजपा कर चुकी है। अब इसके बाद अहम वोट बैंक एससी-एसटी के वोटों में सैंधमारी का प्लान भाजपा का केन्द्रीय नेतृत्व बना रहा है। इसके तहत प्रदेश के दो बड़े नेताओं को अहम जिम्मेदारी देने पर विचार किया जा रहा है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी अनुसूचित जाति वोटों में सैंधमारी के लिये बीकानेर से सांसद व केन्द्रीय मंत्री अर्जुनराम मेघवाल को चुनाव संचालन समिति के प्रमुख की अहम जिम्मेदारी देने की तैयारी की जा रही है। तो अनुसूचित जनजाति वोट बैंक को अपने साथ लाने के लिये किरोडी मीणा को केन्द्र में मंत्री बनाया जा सकता है। इसके अलावा बीकानेर की तीन विधानसभा सीटों सहित करीब तीस से पचास सीटों पर नये प्रत्याशी उतारने की प्लानिंग भी हो रही है। अब देखना है कि भाजपा का यह नया पैतरा आने वाले चुनाव में कितना कारगर साबित होगा। हालांकि कर्नाटक में भाजपा के इस नये प्रयोग के परिणाम के बाद राजस्थान में इस प्लान को मूर्तरूप देने की तैयारी भाजपा कर रही है।