तहलका न्यूज,बीकानेर। राष्ट्रीय अपराध जांच ब्यूरो की राजस्थान राज्य की संयुक्त निदेशक ने राज्यपाल को पत्र लिखकर राज्य के विश्वविद्यालयों में बढ़ते भ्रष्टाचार की जांच की मांग की है। उन्होंने महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय, बीकानेर में खुलेआम हो रही अनियमितताओं की तरफ ध्यान आकर्षित करते हुए इस मामले की तुरंत जांच की अपील की है।उनके पत्र में बताया गया कि सूरजगढ़ के विधायक श्रवण कुमार और भरतपुर के विधायक सुभाष गर्ग ने विधानसभा में उत्तर प्रदेश से आए राजस्थान में कार्यरत कुलपतियों पर भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए थे। आरोपों के अनुसार, पूर्व राज्यपाल द्वारा राज्य के कई विश्वविद्यालयों में उत्तर प्रदेश मूल के कुलपति नियुक्त किए गए थे, जो अनैतिक गतिविधियों को बढ़ावा दे रहे हैं। बीकानेर, उदयपुर, अजमेर, भरतपुर और सीकर के विश्वविद्यालयों में इन कुलपतियों के खिलाफ लगातार शिकायतें आ रही हैं, जिनकी जांच नए राज्यपाल से क रवाई जाने की उम्मीद है।सूत्रों के अनुसार,महाराजा गंगा सिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. मनोज दीक्षित,जो लखनऊ विश्वविद्यालय में प्रोफेसर थे,ने अपने निवास और विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस में बिना किसी एंट्री के उत्तर प्रदेश के गैर-सरकारी कर्मचारियों को शरण दी है। इनमें अमित पांडे का नाम उभरकर आया है, जो अपने आपको OSD(ऑफिसर ऑन स्पेशल ड्यूटी) बताते हैं, जबकि विश्वविद्यालय में ऐसा कोई पद स्वीकृत नहीं है।

निजी महाविद्यालयों के मालिकों एवं निविदा ठेकेदारों से अवैध वसूली
सूत्रों के अनुसार कुलपति मनोज दीक्षित एवं अमित पांडे कुलपति निवास पर एवं विश्वविद्यालय गेस्ट हाउस पर निजी महाविद्यालयों के मालिकों एवं निविदा ठेकेदारों से मुलाकात कर अवैध वसूली करने का कृत्य कर रहे हैं। प्राप्त सुचना अनुसार विश्वविद्यालय के कार्यालय में पर्याप्त कार्यालय क क्ष होने के उपरांत भी गेस्ट हाउस में निजी महाविद्यालय के मालिकों को दस्तावेज सत्यापन के नाम पर अवैध वसूली के लिए बुलाया जा रहा है। जिसमें मुख्य भूमिका इसी अमित पांडे की ही है तथा इन्होंने अपने साथ एजेंट के रूप में एक निजी महाविद्यालय के मालिक सतपाल स्वामी सहित कुछ सेवा नियुक्त कार्मिकों तथा कुछ एक चापलूस प्रकार के शिक्षकों को साथ रख रखा है और दस्तावेजों के सत्यापन के नाम पर वसूली की जा रही है।

अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजने के उपरांत भी वसूली
पीटीईटी कोऑर्डिनेटर को अनापत्ति प्रमाण पत्र भेजने के उपरांत भी वसूली से वंचित रहे लगभग 90 महाविद्यालयों के मालिकों को पुन: बुलाया जा रहा है चूंकि महाविद्यालय भी सरकार एवं विश्वविद्यालय के नियमानुसार नोर्मस को पूरा नहीं करते इसलिए अधिकांश महाविद्यालय के मालिक भी अपनी सहमति से वसूली अभियान में भुगतान कर रहे हैं ताकि बिना नॉर्म्स को पूरा किये कम खर्च पर ही महाविद्यालय आसानी से संचालित हो सके।

विवादित टेंडर प्रक्रिया
अवैध रूप से विश्वविद्यालय में रह रहे पांडे टेंडर और गोपनीय फाइलों की जानकारी प्राप्त कर कुलपति को अनैतिक कृत्य करने के सुझाव दे रहे हैं। हाल ही में हुए दीक्षांत समारोह 2021 की उपाधियां खुली निविदा के बजाय गोपनीय टेंडर से छपवाई गईं,जबकि वर्ष 2004 से 2020 तक की उपाधियां आरबीआई से अनुमोदित फॉर्म से खुली निविदा से छपाई गई। जो संदेहास्पद है। इसी प्रकार,विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्रों का मुद्रण भी गोपनीय टेंडर से करवाया गया,जो खर्चीला और अनियमितता की ओर इशारा करता है। जैसे हाल ही में हुए दीक्षांत समारोह 2021 की उपाधियां भी खुली निविदा के स्थान पर गोपनीय निविदा कर छपाई गई विश्वविद्यालय के प्रश्न पत्रों के मुद्रण के समान उपाधियां भी गोपनीय टेंडर से छपवाना संदेह पैदा करता है। संपूर्ण राजस्थान के विश्वविद्यालयों द्वारा गोपनीय टेंडर कर प्रश्न पत्र मुद्रित करवाना पहले से ही अधिक खर्चीला है। चर्चा यह भी हो रही है कि विश्वविद्यालय के कुलपति मनोज दीक्षित,वित्त नियंत्रक अरविंद बिश्नोई एवं अवैध रूप से विश्वविद्यालय में रह रहे तथाकथित ओएसडी अमित पांडे ने मिलीभगत कर 20 सालों से राष्ट्रीयकृत बैंक पंजाब नेशनल बैंक में जमा विश्वविद्यालय के अरबो रूपयों के फंड को निजी बैंक एचडीएफसी बैंक व ए यू फाइनेंस में स्थानांतरित करने की कार्रवाई की थी। जबकी विश्वविद्यालय फण्ड को केवल नेशनल बैंक में ही रखा जा सकता है। जिसका स्थानीय कार्मिक भी विरोध कर रहे है। लेकिन उनकी सुनवाई नहीं हो रही है।

निजी बैंकों से मिली भगत
राज्य सरकार और प्रबंध मण्डल की स्वीकृति के बिना गरीब विद्यार्थियों के शुल्क व कर्मचारियों के पसीने की कमाई को निजी बैंकों से मिली भगत कर उनमें जमा करवाने के कृतियों का स्थानीय जनप्रतिनिधियों व विश्वविद्यालय के कार्मिकों ने विरोध दर्ज किया। तथाकथित ओएसडी अमित पांडे ने विश्वविद्यालय को चारागाह समझ रखा हैं।महाराष्ट्र से आये राजस्थान के नव नियुक्त राज्यपाल से राजस्थान की जनता की यह आशा है कि वे जल्द से जल्द विधायक श्रवण कुमार व सुभाष गर्ग की मांग पर राज्य के विश्वविद्यालय के कुलपतियों की नियुक्ति और उनके द्वारा विश्वविद्यालय में किए जा रहे अवैध कृतियों की  जांच  करवाएंगे।