तहलका न्यूज,बीकानेर। हाथों में डोलचियां, पानी से भरे बड़े कड़ाव और इन कड़ाव से पानी लेकर कर एक दूसरे की पीठ पर वार करते हर्ष-व्यास जाति के लोग। यह नजारा है सदियों पुरानी स्नेह परंपरा को निभाने का। व्यास और हर्ष एक दूसरे की पीठ पर वार करते और सटाक की आवाज के साथ ही क्या बात है का जुमला गूंज उठता है। इतना ही नहीं अपनी-अपनी जाति का समर्थन करने वाले हूटिंग के जरिये हौसला अफजाई भी करते हैं। खेल के लिए अल सुबह ही कड़ाव हर्षों के चौक में रख दिए जाते हैं। सूरज-निकलते ही सभी कड़ाई और टंकियां पानी से भर दी जाती है।खेल का रोमांच इतना होता है कि हर आयु वर्ग के लोग पानी की जंग में शरीक होते हैं। व्यासों के चौक से लेकर मूंधड़ा चौक, बर्षों का चौक, मोहता चौक, रत्ताणी व्यासों की घाटी तक मेला लगता है। हर्षों-व्यासों की यह पानी की जंग देखने बड़ी संख्या में महिलाएं भी छतों पर पहुंचती हैं। दो घंटे की जंग के बाद जब हर्ष जाति के लोगों की ओर से व्यास जाति की इजाजत से गुलाल उछाली जाती हैं तो इसी के साथ ही एक दूसरी जाति के लिए शुरू हो जाता है गीतों का दौर। दोनों जातियों के बड़े-बुजुर्ग एक दूसरे को हाथ जोड़कर अगले वर्ष फिर इसी तिथि पर खेलने का कह क र विदाई लेते हैं। जिले के पुष्करणा समाज में हर्ष और व्यास जाति के लोग डोलची मार होली के माध्यम से बरसों पुरानी परम्परा आज भी निभाते आ रहे हैं। चमड़े की बनी डोलची में पानी भर एक दूसरे के शरीर पर मारते हैं। पानी की तीखी मार के बाद भी इन जातियों के लोगों के चेहरों से खुशी व प्रेम ही झलकता रहता है। बताया जाता है कि दोनों जातियों के बीच डोलची मार का यह खेल उस वक्त से चला आ रहा है जब इन दोनों जातियों में प्रेम की जगह एक दूसरे के प्रति द्वेष भावना थी।तीन सौ वर्ष से ज्यादा पुरानी है परम्परा पुष्करणा समाज की हर्ष और व्यास जाति के बीच खेले जाने वाले डोलची मार खेल की परंपरा 330 सालों से निभाई जा रही है। बनवाली हर्ष परिवार इस खेल को शुरू करता है तो माथुर समाज के लोग गुलाल उड़ाकर इस खेल के पूरा होने की घोषणा करता है। यह खेल होली के आयोजन में मुख्य आकर्षण होता है। इसको देखने के लिए सैक ड़ों की तादाद में लोग जुटते हैं। हीरालाल हर्ष ने बताया की दोनों जातियों के बीच डोलची मार का यह खेल उस वक्त से चला आ रहा है जब इन दोनों जातियों में प्रेम की जगह एक दूसरे के प्रति द्वेष भावना थी।सदियों पहले राजघराने की मध्यस्तता के बाद आपस में हुए खूनी संघर्ष के विराम के बाद इन दोनों जातियों के बड़े बुजुर्गों ने डोलची मार की इस परम्परा की शुरुवात करते हुए बरसों से पुरानी द्वेषता को खत्म किया और तब से लेकर आज तक होली के तीन दिन पहले दोनों जातियों के लोग इनके परम्परागत चौक पर इकठ्ठा होकर एक दूसरे को पानी की मार से मारते हुए होली के पर्व को दिल से जीते हैं। इसके बाद अगले दिन सभी लोग रंग और गुलाल से होली मनाते हैं और एक दूसरे के सुख दुख में शामिल होते हैं। जब से दोनों जातियों में रोटी-बेटी का सम्बन्ध फिर से कायम हो सका।
उधर बारह गुवाड़ चौक में उस्ताद तनसुख दास रंगा के अखाड़े में उस्ताद दासी महाराज ओझा की स्वांग मेहरी रम्मत का मंचन सायंकाल किया। उस्ताद बंशी महाराज ओझा के निर्देशन में मंचित हुई रम्मत में ख्याल, लावणी तथा चौमास गीतों की प्रस्तुतियां दी गई। रम्मत का शुभारंभ भगवान गणेश के अखाड़े में अवतरण के साथ हुआ। तत्पश्चात जाट-जाटणी, बोहरा-बोहरी, खाकी पात्रों द्वारा पारम्परिक गीतों के माध्यम से हास्य रस बिखेर गया। ख्याल गीत में बेकारी, मंहगाई, भ्रष्टाचार,पेपर लीक,आतंकवाद, आरक्षण आदि पर करारे व्यंग्य किये गये। चौमासा गीत में सजनी द्वारा साजन से चौमासा ऋतु में परदेस न जाने की मनुहार तथा लावणी गीत में नारी के सौन्दर्य व श्रृंगार का विलक्षण वर्णन किया गया।
राधा कृष्ण ने खेली पुष्प होली
लटियाल कला केन्द्र द्वारा कीकाणी व्यासों के चौक में रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम का आयोजन उस्ताद जमना दास कल्ला के अखाड़े में किया गया, जिसमें राधा-कृष्ण की हंसी-ठिठोली के गीत-नृत्यों की प्रस्तुतियां कलाकारों द्वारा दी गई। कार्यक्रम में स्थानीय कलाकारों के साथ बाहर से आये हुए कलाकारों ने खूब दाद बटोरी। वहीं पारम्परिक रूप से राधा-कृष्ण की चुहलबाजी तथा पुष्प होली ने श्रद्धामय माहौल प्रदर्शित किया।
मंदिरों में ठाकुरजी खेल रहे पुष्पों की होली
कुछ ऐसा नजरा इन दिनों बीकानेर शहर का है। खासकर परकोटे के भीतर की बात करें, तो धीरे-धीरे होली अब परवान चढ़ रही है। अलग-अलग मोहल्लों में रम्मतों का मंचन हो रहा है। तो मोहता चौक में भांग सम्मेलन ने माहौल को होलीमय बना दिया है।मोहता चौक में सांस्कृतिक पाटे पर होलाष्टक से शुरू हुआ भांग सम्मेलन शनिवार को भी पूरी मस्ती में डूबा नजर आया। कार्यक्रम में भाजपा शहर अध्यक्ष विजय आचार्य, आईटी सेल के अविनाश जोशी, कांग्रेस के नेता राजकुमार किराड़ू, कर्मचारी नेता महेश व्यास, श्याम देराश्री सहित गणमान्य लोगों की भागीदारी रही। इस मौके पर आयोजनकर्ता टीम की ओर से अतिथियों को साफा पहनाकर अभिनंदन किया गया। इस दौरान ओमप्रकाश जोशी(बबला महाराज), मदन मास्टर, ममिया महाराज, कैदार, मूलचंद बिस्सा सहित बड़ी संख्या में भांग प्रेमी मौजूद रहे।