



तहलका न्यूज,बीकानेर।स्वास्थ्य एवं साहित्य संगम राष्ट्रीय कवि चौपाल की 526 वीं कड़ी “श्रावण मन भावन” एवं राष्ट्रीय कवि चौपाल ग़ज़लकार सम्मान-2 को समर्पित रही। “साधक” ने सम्मान-बोद्धिक में बताया कि वह यश कीर्ति क्षय हो जाए जिसका सम्मान न किया जाए, पर सोने में सुगंध कि सम्मान में कीर्तिमान के बीजारोपण कालजयी आदर्श बन जाए … इस संदेश के साथ जाने-माने दिग्गज गजलकार.. साहित्य समर्पित उर्दू शाइर वली मोहम्मद ग़ौरी ‘वली’ रज़वी, वरिष्ठ शाइर क़ासिम बीकानेरी एवं रवि शुक्ल को ‘राष्ट्रीय कवि चौपाल ग़ज़ल-सम्मान’ से सम्मानित किया गया। सम्मानित हुए ग़ज़लकारों को सम्मान के क्रम में शाॅल, श्रीफल, माल्यार्पण द्वारा सम्मानित किया गया।
मंच शोभित कार्यक्रम अध्यक्ष वली मोहम्मद ग़ौरी ‘वली’ रज़वी ने “किसी को ख़ुशियां हुई मुयस्सर किसी को चाहत में ग़म मिलें हैं। ये खेल है सब मुक़द्दरों के किसी को ज़्यादा या कम मिलें हैं”सुप्रसिद्ध ग़ज़लकार क़ासिम बीकानेरी ने “था चरागों का जुर्म बस इतना, क्यूं हवाओं के दरमियां ठहरे” शे’र प्रस्तुत करके समां बांध दिया ।
रवि शुक्ल ने छोड़ जाउंगा मिरे दुःख की निशानी कुछ तो, काम आएगी कभी मेरी कहानी कुछ तो
इससे पूर्व लीलाधर सोनी ने है वीणा धारिणी मां शारदे ऐसा निर्मल ज्ञान दें मां सरस्वती प्रार्थना से कार्यक्रम शुभारम्भ किया
जाकिर अदीब :- कभी धनक, कभी खुशबू, कभी सबा है ग़ज़ल,.. मैं कब से एक तज़बज़ुब में हूं कि क्या है ग़ज़ल
शिव दाधीच बीकानेरी :- चाहते हो नेह स्नेह और सम्मान बहे इस जीवन में.. महफ़िल में शब्द साहित्य संस्कार पले हमारे जीवन में..
बमचकरी :- गोल मटोल सो चहरो दिसती सुष्मिता सैन, चार भायां री बहन लाडेसर बिसूं लड़ग्या नैन,,,,
शकूर बिकाणवी :- रात सपने माई बाप जी आया, आंख समंदर है आंसू आया
डॉ कृष्ण लाल विश्नोई :- सावण आयो साहबा,मिट्यो आंधियां जोर, बूंद बूंद पाणी पड़ै,घटा चढ़ी घणघोर।।
लीलाधर सोनी :- धन्य धर्म सनातन जिसमें पूजा जाता हर प्राणी, नर नारायण देव दनुज वृक्ष पशु को सम जाणी
माजिद खान माजिद :- न तोड़ो दोस्ती रिश्ते जहाँ से, रहेंगे फिर कहाँ अम्नो अमाँ से
राजकुमार ग्रोवर :- मैं नैता हूं, मैं भारत का नैता हूं
श्री मती कृष्णा वर्मा ने- हरियाली तीज – आया तीज का त्योहार, सखियां हो जाओ तैयार।
मधुरिमा सिंह:- यह कैसी धर्मांधता हम ही रहे दूजा न कोई
शमीम अहमद शमीम हर तरफ़ शोर ही शोर है हर तरफ तुफानों का दौर हैं
पवन चड्ढ़ा रंग और नूर की बारात किसे पेश करूं
राजू लखोटिया:- के रिमझिम के गीत सावन गाए, भीगी भीगी रातों के
कार्यक्रम में 35 साहित्यानुरागियों के साथ 16 कवि वृंद भागीदारी दी आज सिराजुद्दीन भुट्टा, विमला राजपुरोहित, परमेश्वर सोनी, डा तुलसी राम मोदी, सुभाष विश्नोई, महबूब अली, नत्थू खां रमज़ान, सरजीत सिंह बजरंग लाल, माणक चंद, मौ साबिर आदि कई गणमान्य महानुभाव की उपस्थिति रही।
कार्यक्रम का संचालन बड़े ही चुटिले अंदाज शेर शायरी के साथ कवि शिव दाधीच ने किया आभार गज़लकार सागर सिद्दिक़ी ने किया।