



तहलका न्यूज,बीकानेर।बीमा कर्मचारियों के उत्तरी क्षेत्र के संगठन नॉर्दर्न जोन इंश्योरेंस एंप्लॉयज एसोसिएशन का 34वा महाधिवेशन स्थानीय स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय में चल रहा है।संगठन के महासचिव नवीन चंद ने त्रैवार्षिक प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। इस प्रतिवेदन में राष्टीय अंतरराष्ट्रीय घटनाओ का विवरण, श्रम जगत के हालात, पुरानी पेंशन की बहाली, संविधान पर उत्पन्न खतरों, औद्योगिक परिदृश्य, संगठन की एतिहासिक उपलब्धियों, वेतन पुनरीक्षण, पारिवारिक पेंशन,कर्मचारियों के लम्बित मुद्दों के साथ साथ संगठन के आगे की गतिविधियों पर प्रकाश डाला। सबसे महत्वपूर्ण मुद्दों में नई भर्ती की मांग को प्रतिवेदन में प्रमुखता से उठाया गया। उन्होंने कहा कि 31मार्च 1995 में भारतीय जीवन बीमा निगम में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी की संख्या 121410थी जबकि उस समय बीमा पॉलिसी की संख्या 6.55 करोड़ थी। जबकि 31मार्च 2024 की समाप्ति पर करचारियों की संख्या मात्र 98661 रह गई जबकि बीमा पॉलिसियों की संख्या 26.85 करोड़ हो गई है इस प्रकार जहां एक ओर पॉलिसियों की सेवा की संख्या वृद्धि हुई है वहीं कर्मचारियों की संख्या में 20 करोड़ की वृद्धि हुई है वहीं कर्मचारियों की संख्या में 22749 की कमी हुई है अतः कर्मचारियों की नई भर्ती अपरिहार्य हो गई है। इसमें विलंब स्वीकार्य नहीं है।प्रतिवेदन पर हो रही बहस में आल इण्डिया इंश्योरेंस एंप्लॉयज एसोसिएशन के राष्ट्रीय अध्यक्ष वी रमेश इंटरवीन किया। बहस में भाग लेते हुए राष्टीय अध्यक्ष वी रमेश ने संगठन की स्थापना के उद्देश्य का उल्लेख करते हुए कहा कि संगठन की स्थापना 01जुलाई 1951को हुआ था।संगठन का प्रथम प्रस्ताव की मांग बीमा उद्याेग के राष्ट्रीयकरण की थी और इस प्रस्ताव के स्वीकार करवाने के लिए संगठन ने संघर्ष किया उसी के परिणाम स्वरूप 01.09.1956 को उस समय की निजी बीमा कंपनियों को मिलाकर भारतीय जीवन बीमा निगम अस्तित्व में आया। उन्होंने संगठन को मजबूत बनाने रखने के लिए निरन्तर प्रयास की आवश्यकता जताई।हाल ही में केन्द्र सरकार द्वारा बीमा प्रीमियम पर जीएसटी हटाने के प्रस्ताव संगठन की बड़ी उपलब्धि है। इस कारण जनता के 16500 करोड़ रुपए की बचत होगी। इस फैसले से 55करोड़ बीमा धारकों को फायदा होगा। जीएसटी हटाने का संघर्ष 2004से जारी था।बीमा उद्योग में 100% एफडीआई से खतरों का उल्लेख करते हुए कहा कि इससे भारतीय निवेशकों को परेशानी का सामना करना पड़ेगा देश की जनता का धन विदेशो में चला जाएगा। निजी कंपनियां सिर्फ अपने फायदे की बात सोचते हैं। जनता का फायदा नहीं सोचते। शिक्षा में इतिहास को बदलने का प्रयास हो रहा है। रमेश ने बताया कि ऑल इण्डिया इंश्योरेंस एंप्लॉयज का प्लेटिनम जुबली महाअधिवेशन भुवनेश्वर में आयोजित किया जाएगा इसमें सभी साथियों से भाग लेने का आह्वान किया।इस अवसर पर एक और महत्वपूर्ण वक्ता और ऑल इण्डिया इंश्योरेंस एंप्लॉयज एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष अमन्नुल्ला खान ने अपने विशिष्ट अंदाज में सम्बोधन दिया पूर्व अध्यक्ष ने कहा कि इस प्रकार के महाधिवेशन एक प्लेटफार्म है जहां अपने सपने सच करने की राह मिलती है। आज हमारी कार्यकारिणी के सामने कई प्रकार की चुनौतियां हैं इनसे निपटने के लिए चर्चा होनी चाहिए हमारे पास हथियार के रुप में इक स्पष्ट कार्य योजना होनी चाहिए। इस अधिवेशन में अगले तीन वर्षों के लिए रास्ता तय करना है। आजादी आन्दोलन के दौरान देखे गए सपनों को हम कितना पूरा कर पाए हैं इस पर विचार किया जाना चाहिए।जीएसटी का विचार देश की संघीय व्यवस्था पर प्रहार है। यह राज्यों के अधिकार छीनने का हाथियार है। अप्रत्यक्ष कर एक नाइंसाफी है। जीएसटी को हटाने के संघर्ष में हमारी जीत से संगठन का सीना 56ईंच से भी ज्यादा हो गया है। बीमा क्षेत्र में वृध्दि में एफडीआई का कोई योगदान नहीं है। 1956में 1000 व्यक्तियो पर 12बीमा पॉलिसी थी और आज 2025में इसी एफडीआई में 1000 व्यक्तियों पर 290बीमा पॉलिसी है फिर 100%एफडीआई की आवश्यकता क्यो हो रही है यह समझ से परे है। एफडीआई का 100% करना विदेशी कंपनियों को आम जनता की बचत पर कब्जे की छूट देने का प्रयास है। अतः हम बीमा क्षेत्र में एफडीआई का विरोध करते हैं। उन्होंने कहा की भारतीय जीवन बीमा निगम में नई भर्ती करनी चाहिए। जिनका कोई नाम नहीं है उनके लिए संघर्ष करना चाहिए।
ऑल इण्डिया इंश्योरेंस एंप्लॉयज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय महामंत्री के वेणुगोपाल ने कहा कि नई भर्ती सामाजिक सरोकार का एक हिस्सा है।2004 में बीमा प्रीमियम पर सर्विस टैक्स के खिलाफ 55लाख बीमाधारकों के पोस्टकार्ड लिखवाकर तत्कालीन केन्द्र सरकार को भिजवाए थे।2005 में सबसे पहले एलआईसी की strength के अनुसार कर्मचारियों के वेतन निर्धारण की मांग की थी और आज भी हम उस पर कायम हैं। ऑल इण्डिया इंश्योरेंस एंप्लॉयज एसोसिएशन एक भारत का जीता जागता उदाहरण है। कश्मीर से कन्याकुमारी तक संगठन एकता का पाठ पढ़ाता है। संघर्ष के लिए संगठन की आवश्यकता है और संगठन पर विश्वास की आवश्यकता है।प्रतिवेदन पर भाग लेने वाले अन्य वक्ताओं में कोटा(अजमेर मंडल) से मंजीत सिंह वालिया,चंडीगढ़ से राजीव गुप्ता,दिल्ली से राहुल कौशिक,शिव दत्त पाठक,कुलदीप पाठक,हिमाचल प्रदेश से प्रदीप मिन्हास,श्रीनगर से अनीशा ने प्रतिवेदन रिपोर्ट का समर्थन किया और मेहमान नवाजी के लिए बीकानेर मंडल का धन्यवाद किया।