तहलका न्यूज,बीकानेर।भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को पहचान देना नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का मुख्य उद्देश्य है। यह उद्गार आज रामपुरिया विधि महाविद्यालय में नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर आयोजित एक दिवसीय सेमिनार में महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति तथा भारतीय शिक्षा जगत की विदुषी शिक्षाविद् प्रो. डॉ. चन्द्रकला पडिया ने व्यक्त किए। व्याख्यान माला को सम्बोधित करते हुए पूर्व कुलपति डॉ. चन्द्रकला पडिया ने कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में भारतीय ज्ञान परम्पराओं, भारतीय सांस्कृतिक विरासत, हमारी आध्यात्मिक ज्ञान परम्परा को बहुत ही सुन्दर तरीके से शामिल करते हुए नारी स्वतंत्रता, समानता, स्वतंत्रता जैसी भारतीय पुरातन संस्कृति एवं साहित्य का समावेश किया गया है। जिसके परिणामस्वरूप अब भारत का विद्यार्थी पूर्व में भारतीय ज्ञान परम्पराओं को जो तोड. मरोड.कर प्रस्तुत किया गया था उससे हटकर अब वास्तविक भारतीय परम्पराओं, इतिहास, शिक्षाविदों तथा भारतीय दर्शन का ज्ञान प्राप्त कर सकेगा तथा उसको आत्मसात करते हुए भारत को पुनः विश्वगुरू बनाने में अपनी भूमिका का निर्वहन कर सकेगा। डॉ. पाडिया ने कहा कि शिक्षा का उद्देश्य व्यक्ति को मनुष्य बनाना है और नई भारतीय शिक्षा नीति 2020 में इसी उद््देश्य को समाहित करते हुए भारतीय सांस्कृतिक राष्ट्रवाद को पहचान देने का प्रयास किया गया है। डॉ. पाडिया ने कहा कि भारतीय चिंतको ने शासक के बारे में जो धारणा प्रस्तुत की थी कि सेल्फ ट्रांसफॉर्मेशन के द्वारा ही लोकतंत्र की आत्मा तक पहुचा जा सकता है, इस प्रकार के विचारों तथा धाराओं का नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 में समावेश किया गया है तथा उन्होंने रामकृष्ण परमहंस, मां शारदा, कौटिल्य, महात्मा गांधी जैसे भारतीय मनीषियों तथा मनुस्मृति, दुर्गा सप्तशती तथा ऋग्वेद जैसे धार्मिक तथा सामाजिक ग्रन्थों के उदाहरण देते हुए भारतीय चिंतन तथा साहित्य के महत्व तथा इन सभी के शिक्षा नीति में समावेश के बारे में विद्यार्थियों को बताया। डॉ. पाडिया ने कहा कि शिक्षा नीति 2020 का उद्देश्य हमारी पुरातन सांस्कृतिक विरासत को विश्व पटल पर पुनः स्थापित करना है। महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. अनन्त जोशी ने अपने उद्बोधन में कहा कि पूर्व कुलपति डॉ. चन्द्रकला पाडिया का स्नेह बीकानेर के लिए तथा विशेष रूप से रामपुरिया विधि महाविद्यालय पर हमेशा से ही रहा है। उन्होंने डॉ. पाडिया का महाविद्यालय के विद्यार्थियों को इस ज्वलंत तथा विद्यार्थी महत्व के विषय पर व्याख्यान देने के लिए धन्यवाद ज्ञापित किया।
महाविद्यालय प्रबन्ध समिति के उपाध्यक्ष सुनील रामपुरिया ने अतिथियों तथा आगंतुको का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस प्रकार के आयोजन विद्यार्थियों के शैक्षणिक तथा बौद्धिक विकास के अत्यन्त आवश्यक है तथा पूर्व कुलपति के उद्बोधन से निश्चित रूप से विद्यार्थियों को प्रेरणा प्राप्त होगी।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के अतिरिक्त कुलसचिव डॉ. बिठ्ठल बिस्सा ने व्याख्यानमाला का विषय प्रवर्तन किया तथा अतिथियों, आगन्तुकों तथा विद्यार्थियों से पूर्व कुलपति का परिचय करवाया।कार्यक्रम के अन्त में रामपुरिया महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. पंकज जैन ने अतिथियों तथा आगन्तुकों का आभार व्यक्त किया। कार्यक्रम का संचालन महाविद्यालय की व्याख्याता श्रीमती सुनीता लूणिया ने किया। कार्यक्रम में ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. बी. एल. विश्नोई, सिस्टर निवेदिता कन्या महाविद्यालय के प्राचार्य, डॉ. रीतेश व्यास तथा व्याख्याता बिशनाराम, बिन्नाणी कन्या महाविद्यालय के व्याख्याता श्री नरेन्द्र शर्मा, मोटिवेशनल स्पीकर डॉ. चन्द्रशेखर श्रीमाली, महाविद्यालय के व्याख्याता डॉ. बालमुकुन्द व्यास, डॉ. शराफत अली, डॉ. प्रीति कोचर, डॉ. पीयूष किराडू, डॉ. राकेश धवन, श्यामनारायण रंगा, एडवोकेट कपिल देव व्यास तथा विद्यार्थीगण उपस्थित थे।