



तहलका न्यूज,बीकानेर। संभाग के सबसे बड़े पीबीएम अस्पताल में करोड़ों रूपये खर्च होने के बाद भी अस्पताल बीमारी की स्थिति में पड़ा है। हालात यह है कि न केवल सरकारी धन से अनेक उपकरण व सुविधाओं की पूर्ति की जाती है। बल्कि दानदाता भी अपनी ओर से हरसंभव प्रयास कर रोगियों व उनके परिजनों को परेशानी न हो इसका ध्यान रखते हुए कभी सामान,तो कभी उपकरण उपलब्ध करवाते है। इतना होने के बाद भी पीबीएम की स्थिति वहीं ढाक के तीन पात वाली बनी हुई है। कभी साफ सफाई को लेक र,तो कभी तय शुल्क से ज्यादा की वसूली को लेकर अस्पताल समाचारों की सुर्खियों में रहता है। कुछ ऐसा ही मंजर आज देखने को मिला। जब ट्रोमा सेन्टर जैसे अहम अनुभाग में करीब एक घंटे से ज्यादा मरीज बिजली गुल रहने से बेहाल रहे। हालात यह हुई कि गंभीर मरीजों को ज्यादा परेशानी उठानी पड़ी। जबकि ट्रोमा सेन्टर में बिजली गुल होने की स्थिति में जनरेटर की सप्लाई से बिजली व्यवस्था को बहाल करने का ठेका हो रखा है। उसके बाद भी ठेकेदार की ओर से यहां बिजली गुल के समय लाइट की समूचित व्यवस्था नहीं की। इसको लेकर समाजसेवी दिनेश सिंह भदौरिया जब ट्रोमा सेन्टर पहुंचे तो पाया कि लाइट गुल है। भदौरिया ने इसकी शिकायत ट्रोमा सेन्टर प्रभारी डॉ कपिल से की। डॉ कपिल भी अपने आपको असहाय बताते हुए जनरेटर ठेकेदार को फोन किया। तो पता चला कि वो अपनी ड्यूटी से नदारद है। इस बात से नाराज भदौरिया ने चेतावनी दी कि जब तक बिजली बहाल नहीं होगी वे यहां से नहीं जाएंगे। करीब एक घंटे पन्द्रह मिनट बाद बिजली बहाल हुई।
ट्रोमा सेन्टर के वार्ड बदहाल
भदौरिया ने बताया कि ट्रोमा सेन्टर के नीचले वाले वार्डों में शौचालय की स्थिति ठीक नहीं है। यहां लगे नल चोरी हो चुके है तो कबोड,स्टील की पाईप भी नहीं थे। इतना ही नहीं महिला शौचालय के तो ताला लगा हुआ मिला। हालात यह है कि एक शौचालय का प्लाटर गिरने की स्थिति में है।
प्रबंधन में आपसी तालमेल का अभाव
भदौरिया का आरोप है कि अस्पताल के अलग अलग अनुभागों के प्रबंधन क ा अधीक्षक व मेडिकल कॉलेज प्राचार्य से तालमेल ठीक नहीं है। इसी वजह से पीबीएम की यह स्थिति है। उन्होंने हार्ट अस्पताल में भी रमेश अग्रवाल कालू बड़ी नाम के व्यक्ति के अनावश्यक हस्तक्षेप होने की बात क ही है। उन्होंने तहलका न्यूज को बताया कि अस्पताल की ओर से निकाले गई निविदा में कम रेट में काम करने वाली कंपनी के प्रतिनिधियों को अग्रवाल यहां जांच करने से मनाही करते है। उनसे उलझते तक है। जिसके चलते कई बार विवाद की स्थिति बन जाती है।
निविदा का नहीं हो रहा अनुमोदन
समाजसेवी भदौरिया ने आरोप जड़े है कि पीबीएम में आरएमआरएस की बैठक में तय किये निर्णय भी लागू नहीं हो पा रहे है। इनमें सर्वोधिक निविदाओं के जरिये काम करने वाले है। उनका कहना है कि बैठक में अलग अलग निविदाओं के जरिये 30 टेण्डर अनुमोदन हुए। उनमें महज 5 निविदा ही निकाली गई है। जबकि एमआरआई,सीटी स्कैन,पैट स्कैन जैसी अहम जांचों की निविदाएं अभी तक लंबित पड़ी है। इतना ही नहीं 17 निविदाएं तो कैसिंल कर दी है। इससे पता चलता है कि राजनेताओं के प्रतिनिधि किस तरह पीबीएम अस्पताल में हस्तक्षेप कर रहे है। जिससे पीबीएम बीमार हो गया है और उसे सख्त उपचार की जरूरत है।