तहलका न्यूज,बीकानेर। एक ओर तो स्वायत शासन विभाग निकायों को आर्थिक रूप से संबंल बनने की हिदायतें देते हुए अपने स्तर पर राजस्व बढ़ाने के दिशा निर्देश दे रहा है। वहीं दूसरी ओर बीकानेर नगर निगम आय के स्त्रोत बढ़ाने में किसी प्रकार की रूचि नहीं दिखा रहा है। जिसके चलते जिन ठेकों की समयावधि खत्म हो चुकी है। उनकी अभी तक किसी प्रकार से प्रक्रिया ही शुरू नहीं की जा रही है। मंजर यह है कि ठेका कंपनी के प्रोपराईटर निगम आयुक्त को आग्रह कर रहे है कि वे अधिकतम राशि में ठेका लेने को तैयार है। परन्तु निगम के अधिकारी इस ओर ध्यान नहीं दे रहे है। बताया जा रहा है कि नोखा की एक फर्म बाबा रामदेव श्रमिक सप्लायर ने संभागीय आयुक्त,जिला कलक्टर व प्रशासक निगम,निगम आयुक्त को एक ज्ञापन देकर मृत पशु उठाने के टेण्डर प्रक्रिया पर पुन:विचार का आग्रह किया है। प्रोपराईटर मनोज कुमार ने आग्रह किया है कि पिछले वर्ष हड्डी ठेका नीलामी की ऑनलाइन बोली 6 लाख पर खत्म हुई थी। अब यह ठेका 12 दिसम्बर को खत्म हो गया है। ऐसी जानकारी मिल रही है कि निगम 5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी के साथ उस कंपनी को ठेका बढ़ोत्तरी की तैयारी में है। ऐसे में निगम को इस ठेका बढ़ोत्तरी से आर्थिक नुकसान होगा। मनोज ने ज्ञापन में आग्रह कि या है कि अगर हड्डी ठेका की नीलामी प्रक्रिया खुली बोली के जरिये की जाएं तो निश्चित रूप से 6 लाख की राशि से सात से आठ प्रतिशत राशि अधिक की बोली लग सकती है। ऐसे में निगम को चालीस से पचास लाख तक का सालाना राजस्व केवल हड्डी ठेका से हो सकता है। उन्होंने नये सिरे से पूरी प्रक्रिया करने की गुहार उच्चाधिकारियों से लगाई है।

आखिर क्यों बच रहा है खुली बोली प्रक्रिया से निगम
निगम की ऑनलाइन बोली की बजाय खुली प्रक्रिया न अपनाने से विवाद के घेरे में आ रहा है। सवाल उठाएं जा रहे है कि आखिर निगम के उच्चाधिकारी खुली बोली प्रक्रिया से क्यों बच रहे है। जबकि ठेका फर्म स्वयं 6 लाख वाली बोली के 40 लाख तक सालाना राजस्व निगम को देने को तैयार है। एक पखवाड़े पहले दिए ज्ञापन पर निगम की प्रशाासक व जिले मुखिया का ध्यान नहीं जाना भी भाजपा सरकार में याचक की सुनवाई नहीं होने की व्यवस्था की ओर इंगित करता है।