जयपुर।राजस्थान में भाजपा के बाद अब कांग्रेस में भी संगठन स्तर पर बड़े बदलाव की तैयारी है। पार्टी सूत्रों के मुताबिक, जल्द ही प्रदेश अध्यक्ष बदल सकते हैं। चर्चा है कि ब्राह्मण या आदिवासी चेहरे को कमान सौंपी जा सकती है। इस बदलाव को सचिन पायलट के बढ़ते प्रभाव से भी जोड़कर देखा जा रहा है। बता दें, राजस्थान में भाजपा ने हाल ही में संगठन और नेतृत्व में फेरबदल किया है। अब कांग्रेस भी उपचुनाव में नए सिरे से उतरने की तैयारी में है। इसकी शुरुआत बीते दिन कांग्रेस पार्टी ने ब्लॉक और मंडल कांग्रेस कमेटी को भंग करके कर दी है। पार्टी के इस कदम से ही राजस्थान पीसीसी चीफ को लेकर चर्चाएं शुरू हो गई हैं।

इन वजहों से राजस्थान कांग्रेस में हो सकता है बदलाव
पार्टी सूत्रों के अनुसार, प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा की जगह किसी नए चेहरे को कमान सौंपी जा सकती है। इस बदलाव के पीछे कई कारण बताए जा रहे हैं। पहला कारण है सचिन पायलट का बढ़ता प्रभाव। पिछले कुछ समय से पायलट लगातार सक्रिय हैं और जनता से जुड़े मुद्दे उठा रहे हैं। इससे पार्टी में उनकी पकड़ मजबूत हुई है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी उन्हें और ज़िम्मेदारी सौंप सकती है। दूसरा कारण है जातिगत समीकरण साधनातीसरा कारण है नए सिरे से चुनावी तैयारी। पिछले लोकसभा चुनाव में कांग्रेस को मिली 11 सीटों से पार्टी में उत्साह है। आगामी विधानसभा उपचुनाव में भी पार्टी बेहतर प्रदर्शन की उम्मीद कर रही है। पांच सीटों पर उपचुनाव होना है। ऐसे में माना जा रहा है कि पार्टी नया नेतृत्व लाकर कार्यकर्ताओं में नई ऊर्जा भरना चाहती है।राजस्थान में लंबे समय से अशोक गहलोत और सचिन पायलट के बीच गुटबाजी जगजाहिर है। ऐसे में पार्टी किसी ऐसे नेता को कमान सौंपना चाहेगी जो दोनों गुटों को साथ लेकर चल सके।

इनमें से किसी एक को सौंपी जा सकती है राजस्थान कांग्रेस की कमान
चर्चा है कि पार्टी ब्राह्मण या आदिवासी चेहरे को अध्यक्ष बनाकर इन वोट बैंकों को साधना चाहती है। ब्राह्मण चेहरों में पूर्व विधानसभा अध्यक्ष सीपी जोशी और पूर्व कैबिनेट मंत्री रघु शर्मा के नाम प्रमुखता से लिए जा रहे हैं। सीपी जोशी राहुल गांधी, अशोक गहलोत और सचिन पायलट तीनों के करीबी माने जाते हैं। वे केंद्रीय मंत्री, प्रदेश मंत्री और विधानसभा अध्यक्ष जैसे महत्वपूर्ण पदों पर रह चुके हैं। दूसरी ओर, रघु शर्मा भी गहलोत और पायलट के करीबी हैं और संगठन में अच्छी पकड़ रखते हैं।अगर पार्टी आदिवासी चेहरे पर दांव खेलती है तो अर्जुन बामनिया प्रबल दावेदार हैं। दक्षिण राजस्थान में बीटीपी के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए कांग्रेस आदिवासी वोट बैंक को साधने की रणनीति बना रही है।यह बदलाव कब तक होगा, यह तो अभी स्पष्ट नहीं है। लेकिन जिस तरह से चर्चाएं तेज हुई हैं, उससे साफ़ है कि कांग्रेस जल्द ही कोई बड़ा फैसला ले सकती है।