




जयनारायण बिस्सा
तहलका न्यूज,बीकानेर। प्रदेश के अधिकांश यात्री वाहनों में भले ही यह अंकित होता है कि आपकी यात्रा मंगलमय हो,लेकिन यात्रा मंगलमय बनाने के सुरक्षा इंतजाम खुद सरकार ने नहीं कर रखे है। स्टेट परमिट वाहनों में अग्निशमन यंत्र अनिवार्य ही नहीं कर रखा है। हकीकत यह है कि यह यात्रा नेशनल परमिट की बस में करेंगे तो यहां अग्निशमन यंत्र की अनिवार्यता है। यात्री वाहनों में दोहरे मापदण्ड समझ से परे है। सडक़ों पर सरपट दौड़ते वाहनों के बीच सुरक्षा की चिंता हर किसी को है,लेकिन राज्य सरकार और परिवहन महकमें को शाायद इसकी चिंता नहीं है। स्थिति यह है कि प्रदेश में परिवहन विभाग से पंजीकृत होने वाले वाहनों में सुरक्षा को लेकर दोहरा मापदंड रखा जा रहा है। हालात यह है कि जिले से जयपुर,दिल्ली,उत्तराखंड,हरियाणा,मध्य प्रदेश के लिए निजी बसें प्रतिदिन सवारियां ढोने का काम करतीं हैं। जिनसे परिवहन विभाग को लाखों का चूना लग रहा है।
डिक्की में क्या रखा, किसी को नहीं पता
निजी बसों में यात्री भार से ज्यादा तो कमाई सूरत,अहमदाबाद,दिल्ली, जयपुर से आने और यहां से ले जाने वाली सामग्री से होती है।स्थिति यह है कि नेशनल मार्ग की अधिकाशं बसों में छत के साथ डिक्की भी सामान से भरी होती है। ऐसे में डिक्की में किसी यात्री ने ज्वलनषील पदार्थ रखा है तो इसकी जानकारी भी अमूमन किसी को नहीं होती।
चलती गाड़ी में होती है धूम्रपान और मोबाइल पर वार्तालाप
निजी बसों में बस चालक व परिचालक भी नियमों की धज्जियां उड़ाते नजर आते है। कई बस चालक सीट पर बैठते ही समोकिंग करते नजर आते है। ऐसे में यात्रियों को धूम्रपान से कैसे रोकेंगे। निजी हो या रोडवेज दोनों के चालक भी अकसर चलती गाड़ी में मोबाइल पर बातचीत करते है। कई बार तो चालक मोबाइल पर वार्तालाप करते हुए खतरनाक ओवरटेक करते है।
नहीं होती कार्रवाई
ऐसा नहीं है कि आरटीओ व संबधित विभागों के अधिकारियों को इसकी जानकारी नहीं है,लेकिन नियमों के विरुद्ध सवारियां ढोने वाले निजी बस संचालकों पर प्रभावी कार्रवाई नहीं होती है।रोडवेज बसों व ट्रेनों का परिचालन सीमित दायरे में होने का फायदा निजी बस संचालकों ने खूब उठाया। आल इंडिया परमिट के सहारे नियमों की अनदेखी कर निजी बस संचालक पार्टी (यात्रियों का समूह) की जगह बसों में अलग-अलग सवारियां ढो रहे हैं।
अधिकांश बस संचालक का जुड़ाव राजनीतिक दलों से
बताया जा रहा है कि अधिकांश बस संचालन करने वाली ट्रेवल एजेन्सी संचालक राजनीतिक दलों की शरण में रहते है ताकि परिवहन विभाग के अधिकारी इन पर कार्रवाई से डरते रहे। मंजर यह है कि अनेक बार हादसे होते भी है। किन्तु बस एजेन्सियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती है। दिखावे के तौर पर कार्रवाई कर इतिश्री कर लेते है।
क्या कहते है यात्री
मजबूरी में निजी बसों में यात्रा करने वाले यात्रियों का कहना है कि निजी बसों से संबंधित मुद्दे सुरक्षा उपायों और सुरक्षा अनुपालन की निगरानी की कमी,लापरवाही से गाड़ी चलाना,ओवरलोडिंग,अतिरिक्त सामान,अवैध वाहन,अनुपयुक्त वाहनों और अप्रशिक्षित ड्राइवरों के कारण होने वाला प्रदूषण हैं।