


तहलका न्यूज,बीकानेर। मारपीट के नौ साल पुराने एक मामले के गवाह को सरेआम घेरकर पीटने वाले 11 लोगों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई है। सभी एक ही परिवार के सदस्य हैं।बताया जा रहा है कि हॉस्पिटल डॉक्टर को दिखाने जा रहे गवाह और उसके बेटे पर कुल्हाड़ी और लाठी से हमला बोल दिया था। गवाह के पैर में 10 जगह फ्रैक्चर हुए।
उम्रकैद पाने वालों में 6 सगे भाई शामिल
अपर लोक अभियोजना राजा राम बिश्नोई ने बताया कि भाई धूड़ाराम के साथ हुई मारपीट के गवाह जयसुखराम पर जानलेवा हमला हुआ था।कोर्ट ने इसमें धूड़ाराम पर हमले के मामले को भी शामिल किया है।जयसुखराम के रिश्ते में लगने वाले बड़े भाई धूड़ाराम के साथ 11 लोगों ने मिलकर मारपीट की थी। इस मामले में जयसुखराम गवाह था।इसे लेकर कोर्ट में केस चल रहा था।सजा पाने वालों में 6 सगे भाई बृजलाल,शिवलाल,सोहनलाल,गोपीराम,रामकुमार,रामस्वरूप शामिल हैं।इसके अलावा तीन सगे भाई देवीलाल,सुखदेव उर्फ सुखाराम,प्रदीप भी दोषी पाए गए हैं।कोर्ट ने 2 सगे भाई सुन्दरलाल और मांगीलाल को भी सजा सुनाई है। ये सभी एक ही परिवार के है।
बेटे के साथ हॉस्पिटल जा रहे गवाह पर हमला
राजा राम बिश्नोई ने बताया कि12 फरवरी 2016 को जयसुखराम की तबीयत बिगड़ गई थी। वह अपने बेटे राकेश के साथ सड़क पर टैक्सी के इन्तजार में खड़ा था।जब काफी देर तक टैक्सी नहीं आई तो दोनों पैदल-पैदल ही हॉस्पिटल की ओर चल पड़े थे।करीब 8 बजे वे नोखा के चुंगी नाका सुजानगढ़ रोड पहुंचे। यहां पत्थरों के पीछे छिपे बृजलाल,देवीलाल,सुन्दरलाल,शिवलाल,सुखदेव उर्फ सुखाराम,सोहनलाल,गोपीराम,रामकुमार,मांगीलाल,प्रदीप और रामस्वरूप ने उन्हें घेर लिया। उनके हाथों में कुल्हाड़ी और लाठियां थीं। सभी ने मिलकर बाप-बेटे पर हमला बोल दिया।लाठी-कुल्हाड़ी से वार बिश्नोई ने बताया- एक ही परिवार के 11 लोगों ने जयसुखराम के पैरों पर कुल्हाड़ी मारी और लाठियों से सिर पर वार किया। इस दौरान राहगीरों ने शोर मचाया तो लहूलुहान हालत में उन्हें छोड़कर भाग निकले।इस हमले में जयसुखराम के दोनों पैर टूट गए।बेटे राकेश के भी हल्की चोटें आई थीं।फौरन नोखा के हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां से उन्हें पीबीएम हॉस्पिटल के लिए रेफर किया गया।गवाह को डराने के लिए मारपीट कोर्ट ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद आदेश में कहा- सबसे महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि अभियुक्तों ने ये मारपीट एक गवाह के साथ की है।गवाह अपने बड़े भाई पर हुए हमले के दौरान मौके पर मौजूद था।उसने गवाह के रूप में अदालत में बयान दिया था।एक गवाह को न्यायालय में उसकी स्वतंत्र रूप से सबूत देने से मना करने (दबाव बनाने) और साक्ष्य देने के कारण सबक सिखाने के लिए ये मारपीट की गई।

