तहलका न्यूज,बीकानेर। प्रदेश में विधानसभा चुनाव की आहट के साथ ही अब टिकटों को लेकर हलचल तेज हो गई है। जहां भाजपा को यहां खोने के लिये कुछ नहीं है। वहीं कांग्रेस अपनी पहली जीत की तलाश में लगी है। जिसको लेकर दोनों ही राजनीतिक दल जीताउ प्रत्याशी की तलाश में है तो युवा बदलाव को लेकर पार्टियों पर दबाव बनाएं हुए है। हालांकि कांग्रेस से टिकट चाहने वालों की फेरिहस्त बड़ी लंबी है। इस विधानसभा से कांग्रेस के 40 के करीब दावेदार सामने आएं है। जिसमें सर्वोधिक युवा है। वे भी इस सीट पर परिवर्तन के नाम पर अपनी ताल ठोक रहे है। तो भाजपा से टिकट चाहने वाले भी अपने कामकाज के आधार पर दावा मजबूत बताते नजर आ रहे है। जबकि कोई भी भाजपा दावेदार वर्तमान विधायक सिद्विकुमारी के टिकट कटने का पुख्ता कारण नहीं बता पा रहा है। जो कारण सामने आ रहा है,उसमें या तो राज्यसभा चुनाव में सिद्विकुमारी की गलत वोटिंग को बताया जा रहा है। या विधानसभा में बीकानेर पूर्व की पैरवी दमदार नहीं करने की बात कहता नजर आ रहा है। इतना ही नहीं कुछ दावेदार तो इसे वसुन्धरा गुट से जोड़कर टिकट कटने की बात कहते है। खैर सिद्विकुमारी का टिकट कटने की स्थिति में ही पार्टी नये प्रत्याशी पर दावं खेलेगी।
कांग्रेस की ओर से इन दावेदारों में दिलचस्प दौड़
पिछले 15 सालों से इस सीट पर जीत का सुखा मिटाने के लिये कांग्रेस ने हर संभव प्रयास कर रही है। किन्तु कांग्रेस के पास अभी तक भाजपा का तोड़ नहीं है। वैसे इस दफा कांग्रेस की ओर से लंबे राजनीतिक अनुभव वाले बाबूजयशंकर जोशी,सलीम भाटी,गुलाम मुस्तफा,शशिकांत शर्मा,गजेन्द्र सिंह सांखला जैसे सरीखे दावेदार है। वहीं युवा नेताओं में यशपाल गहलोत,आनंद सिंह सोढ़ा,मनोज विश्नोई,नगेन्द्र सिंह शेखावत, कौशल दुग्गड़ दौड़ धूप कर रहे है। पार्टी ने बढ़ते दावेदारों की संख्या को देखकर जातिय समीकरण की जुगत भी लगानी शुरू कर दी है। वैसे इन सभी दावेदार जीत के लिये अपने आलाकमान को अलग अलग तर्क दे रहे है। कोई जातिय आधार पर जीत की आवाज बुलंद कर रहा हैं तो कोई वर्तमान विधायक की नाकामी को अपनी जीत का गणित। उधर कांग्रेस ने अभी तक के तीनों चुनावों में अलग अलग जातिय समीकरण के आधार पर प्रत्याशी मैदान में उतारे है। ऐसे में इस बार पार्टी फिर से यही फार्मूला अजमा सकती है। पार्टी की इस जोड़ बाकी में कई उम्मीदवारों को टिकट की आस है।
भाजपा में दावेदारों में टिकट की ललक,बस जीत का बता रहे हैं मंत्र
उधर भाजपा के पास भी ऐसा कोई ठोस विकल्प नहीं है कि वह नये दावेदार के साथ अपनी इस पुख्ता सीट को बरकरार रख सके। हालांकि पार्टी की टिकट चाहने वालों में अनेक ऐसे चेहरे जरूर है,जो जनमानस में लोकप्रिय है। फिर भी जातिय समीकरणों के आधार पर पार्टी मंथन कर रही है। भाजपा की टिकट मांगने वालों में महावीर रांका,मोहन सुराणा के साथ साथ दिलीप पुरी,सुरेन्द्र सिंह शेखावत जैसे युवाओं के नाम है। तो केन्द्रीय मंत्री के कुछ नजदीकी भी इस फेरिहस्त में अपने आप को शामिल मानते है। इन सभी के पास मोदी के नाम से जीत का मंत्र तो है ही। साथ ही दबे स्वरों में विधायिका की विधानसभा में प्रबल पैरवी की कमजोरी को भी आधार बता रहे है।
कांग्रेस-भाजपा से पैराशूटी की भी संभावना
उधर राजनीतिक जानकारों की माने तो दोनों ही दल इस सीट को जीतने की फिराक में पैराशूटी उम्मीदवार भी उतार सकते है। हालांकि दोनों की दलों ने अपने पत्ते इसको लेकर नहीं खोले है। फिर भी ऐसा माना जा रहा है कि राजपूत समाज से ऐसे ही दो दावेदारों को दोनांे दल उतार सकते है। अब देखना यह है कि आखिर दोनों ही पार्टियां किस रणनीति को लेकर इस चुनावी समर को जीतने में लगेगी।