तहलका न्यूज,बीकानेर। नारी शक्ति वंदन अधिनियम के नाम से लोकसभा में महिला आरक्षण बिल पेश होने के बाद महिलाओं की राजनीति में भागीदारी को लेकर बहस तेज हो गई। भाजपा-कांग्रेस समेत तमाम राजनीतिक पार्टियां महिलाओं को आगे बढ़ाने का दावा कर रही हैं। राजस्थान विधानसभा के पिछले पांच चुनाव के आंकड़े देखें तो भाजपा ने 110 महिला उम्मीदवारों को टिकट देकर चुनावी मैदान में उतारा, जबकि कांग्रेस ने 104 महिलाओं को टिकट दिए। 2003 के बाद पहली बार भाजपा ने 2018 में कांग्रेस से कम महिलाओं को विधानसभा चुनाव में उम्मीदवार बनाया। इस दौरान कांग्रेस ने 27 तो भाजपा ने 23 महिलाओं को चुनाव मैदान में उतारा था। इससे पहले 2013 में भाजपा ने 26, कांग्रेस ने 24, 2008 में भाजपा ने 31, कांग्रेस ने 23, 2003 में भाजपा ने 22, कांग्रेस ने 18 महिलाओं को विधानसभा चुनाव में अपना प्रत्याशी बनाया था। 1998 में कांग्रेस ने 12 और भाजपा ने आठ महिलाओं को पार्टी का टिकट दिया था।
महिलाओं का विधानसभा में प्रतिनिधित्व बढ़ा,लेकिन ये काफी कम
राजस्थान की राजनीति में महिलाओं का प्रतिनिधित्व धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन अब भी यह काफी कम है। वर्तमान में प्रदेश में सिर्फ 27 महिला विधायक हैं। हालांकि, 1952 में हुए पहले चुनाव में प्रदेश में सिर्फ दो महिलाएं यशोदा देवी और कमला बेनीवाल ही विधायक बनीं थी। शुरुआती चुनाव में महिला विधायकों की संख्या इकाई में ही गिनी जाती रही। 1985 के चुनाव में पहली बार 17 महिलाएं विधायक चुनी गईं। इसके बाद 2008 में 28 महिलाएं विधायक बनी और यही आंकड़ा 2013 के चुनाव में भी कायम रहा। लेकिन, 2018 के चुनाव में यह आंकड़ा एक फिर नीचे आया गया।राजस्थान विधानसभा चुनाव के पिछले पांच साल के आंकड़ों पर नजर डाले तो 696 महिलाओं ने चुनाव लड़ा जिसमें से 458 की जमानत जब्त हो गई। इससे साफ है कि महिलाओं ने चुनाव तो लड़ा, लेकिन जनता ने उन्हें वोट नहीं दिए।
देखें पांच साल के आंकड़े…
1998 का विधानसभा चुनाव 69 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, इनमें से 44 की जमानत जब्त हो गई थी। 14 महिलाएं विधायक बनीं।
2003 में 118 महिलाएं चुनाव मैदान में उतरी, लेकिन 76 की जमानत जब्त हो गई। 12 महिलाएं ही विधायक चुनी गईं।
2008 का विधानसभा चुनाव 154 महिलाओं ने लड़ा, इनमें से 95 की जमानत जब्त हो गई। 28 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची।
2013 का विधानसभा चुनाव 166 महिलाओं ने चुनाव लड़ा, इनमें 105 की जमानत जब्त हो गई। सिर्फ महिलाएं ही 28 विधायक बन सकीं।
2018 के चुनावी मैदान में 189 महिलाएं उतरी, लेकिन 138 की जमानत जब्त हो गई। 27 महिलाएं विधायक बनकर विधानसभा पहुंची।
अब हर पार्टी को कम से कम से 66 महिलाओं को देने पड़ेंगे टिकट
विधानसभा की 200 सीटें हैं। पिछले पांच साल के आंकड़े पर नजर डालें तो प्रदेश की तमाम राजनीतिक पार्टियां मिलकर भी 200 महिला उम्मीदवारों को टिकट नहीं देती हैं। 2018 में सभी पार्टियों और निर्दलीय उम्मीदवारों को मिलाकर 189 महिलाओं ने चुनाव लड़ा था। लेकिन, महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद प्रदेश की सभी पार्टियों को कम से कम 66 सीटों पर महिलाओं को टिकट देने ही पड़ेंगे।
महिला आरक्षण बिल का ये होगा असर
राजस्थान में विधानसभा की 200 सीटें हैं। महिला आरक्षण बिल के कानून बनने के बाद यहां महिला विधायकों की संख्या बढ़कर 66 हो जाएगी। इसी तरह लोकसभा की आठ सीटें महिलाओं के लिए आरक्षित हो जाएंगी। बतादें कि अभी राजस्थान में तीन महिला सांसद हैं और तीनों ही भाजपा की हैं।
क्या इस चुनाव में महिलाओं का प्रतिनिधित्व बढ़ाएंगी पार्टियां
महिला आरक्षण बिल के कानून बनने की प्रक्रिया अभी लंबी है,लेकिन इस बिल के लोकसभा में पेश होने के बाद से चुनाव में महिलाओं के प्रतिनिधित्व को लेकर बहस चल रही है। कुछ महीने बाद राजस्थान में विधानसभा चुनाव होना है। ऐसे में इस चुनाव में भी महिलाओं की बड़ी भागीदारी देखने को मिल सकती है।