तहलका न्यूज,बीकानेर। प्रदेश के सरकारी और प्राइवेट स्कूलों को माध्यमिक शिक्षा बोर्ड अजमेर की दसवीं परीक्षा में सेंशनल मार्क्स के नाम पर विद्यार्थियों को बीस में से बीस नंबर देने की परिपाटी तोडऩी पड़ेगी। इसे लेकर माध्यमिक शिक्षा निदेशालय ने शुक्रवार को आदेश जारी किया है, जिसमें लिखा कि सेंशनल मार्क्स की जांच भी हो सकती है।माध्यमिक शिक्षा निदेशक आशीष मोदी ने कहा कि बोर्ड परीक्षाओं में स्कूलों की तरफ से विद्यार्थियों को सेंशनल मार्क्स दिया जाता है। इसमें देखा गया है कि मानदंडों का पालन ने करते हुए बच्चों को 20 में से 20 मार्क्स दिए जाते हैं।

इस तरह डिवाइड होते है सेशनल मार्क्स
– सेंशनल मार्क्स 20 नंबर के होते है। जिसमें स्कूल स्तर पर होने वाले तीन टेस्ट, अर्द्ध वार्षिक परीक्षा के कुल अंकों का दस प्रतिशत अंक, पांच प्रतिशत अंक प्रोजेक्ट के और तीन प्रतिशत अंक विद्यार्थी की उपस्थिति के होते हैं।

– परीक्षा में बैठने के लिए 75 से 80 प्रतिशत उपस्थिति अनिवार्य है। इतनी उपस्थिति होने पर एक अंक, अस्सी से नब्बे प्रतिशत उपस्थिति होने पर दो अंक और नब्बे से सौ प्रतिशत उपस्थिति रहने पर तीन अंक दिए जाएंगे।

– दो प्रतिशत अंक व्यवहार और अनुशासन के होते हैं।

कभी भी हो सकती है जांच
निदेशक ने कहा कि सेंशनल मार्क्स देने के नियमों को गंभीरता से नहीं लिया जाता। ऐसे में अब इन मार्क्स के आधार पर छानबीन भी होगी। तीन सालों तक अर्द्धवार्षिक और यूनिट टेस्ट की कॉपियों को सुरक्षित रखा जाएगा। डाइट स्टॉफ कभी भी इन कॉपियों की जांच कर सकता है

ये मार्क्स होंगे संदिग्ध
तीनों यूनिट टेस्ट व अर्द्धवार्षिक परीक्षा के प्राप्त अंकों के प्रतिशत और बोर्ड परीक्षा के अंक प्रतिशत के मध्य पचास प्रतिशत से अधिक अंक का अंतर पाया गया तो संदिग्ध माने जाएंगे। संस्था प्रधान को इसका तार्किक कारण देना होगा। कारण सही नहीं होने पर संस्था प्रधान पर कार्रवाई होगी।किसी स्टूडेंट को सेशनल मार्क्स दस में से नौ दिए गए हैं तो सैद्धांतिक परीक्षा में भी उसके कम से कम अस्सी में से चालीस मार्क्स होने चाहिए। अन्यथा संस्था प्रधान व विषय अध्यापक को जवाब देना पड़ सकता है।