तहलका न्यूज,बीकानेर। ट्रेन का एसी कोच। उपलब्ध सीटों से कहीं अधिक यात्री। जिनकी सीट रिजर्व है उन्हें भी समय पर बैठने को जगह नहीं मिल रही। रात होते-होते कई यात्री गलियारे में सो जाते हैं। टायलेट तक आने-जाने का रास्ता भी नहीं मिलता। ऐसे हालात में रेलवे की अव्यवस्थाओं केा कोसने की बजाय इसके खिलाफ आवाज उठाइये। उपभोक्ता न्यायालय आपको पूरा न्याय दिलायेगा। बीकानेर में जिला फोरम की ओर से एक यात्री के परिवाद पर दिये गए फैसले ने एक बार फिर यह साबित किया है। फोरम ने बीकानेर के डीआरएम, सीनियर डीसीएम और उत्तर पश्चिम रेलवे मुख्यालय जयपुर को एक यात्री को हुई असुविधा की एवज में 15 हजार रूपए क्षतिपूर्ति के रूप में देने का आदेश दिया है।
यह है मामला
मुरलीधर व्यास कॉलोनी में रहने वाले 29 वर्षीय केशव ओझा ने खुद और पत्नी के लिए जयपुर से बीकानेर के लिए थर्ड एसी कोच में टिकट रिजर्व करवाये। दो सीट कन्फर्म हो गई। ट्रेन में चढ़े तो सीट पर कोई और बैठा था। टीटीई समय पर कोच में नहीं मिला। काफी देर जद्दोजहद के बाद सीट निकली तब तक रात गहराई गई। ट्रेन के कोच में सीटों से कहीं ज्यादा यात्री थे। टायलेट तक आना-जाना भी मुश्किल हो रहा था। एसी कोच की कूलिंग भी सहीं नहीं थी। पूरी रात परेशानी झेलते हुए आये ओझा ने जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग बीकानेर में परिवाद दायर किया। ओझा के अधिवक्ता दुष्यंत आचार्य ने उनकी ओर से दलीलें और सबूत पेश किये। इन सबूतों में ओझा की ओर से ट्रेन के कोच में लिये गए फोटो-वीडियो भी शामिल थे। दूसरी ओर रेलवे की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार लदरेचा ने पैरवी की।
जिला फोरम ने दिया यह फैसला
जिला फोरम के न्यायाधीश पुखराज जोशी, मधुलिका आचार्य और दीनदयाल प्रजापत ने अपने फैसले में रेलवे को सेवाओं के लिए दोषी माना। आदेश दिया कि डीआरएम, सीनियर डीसीएम और उत्तरपश्चिम रेलवे मुख्यालय जयपुर तीनों मिलकर संयुक्त रूप से अलग-अलग एक महीने में परिवादी को 15 हजार रूपए क्षतिपूर्ति के रूप में प्रदान करें। इनमें से 10 हजार रूपए शारीरिक एवं मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए और 05 हजार रूपए परिवाद व्यय के रूप में देने होंगे।
विधिक चेतावनी
जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग के आदेश की पालना नहीं करना उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम 2019 की धारा 72 के तहत तीन वर्ष के कारावास या एक लाख रूपए जुर्माना या दोनों से दंडनीय है।