तहलका न्यूज,बीकानेर। आगामी विधानसभा चुनाव में सता प्राप्ति को बेताब भाजपा जिले के सातों विधानसभा सीटों में जोड़ बाकी लगाकर अधिकाधिक सीटें जीतने की रणनीति पर काम कर रही है। इसको लेकर ही पार्टी पिछले चुनाव में भाजपा से किनारा करने वाले नेताओं को पार्टी में वापसी करवा रही है। विश्वस्त सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार भाजपा जहां पूर्व में राजपूत चेहरा उतारने की फिराक में है। अब यह चेहरा वर्तमान विधायक के रूप में होगा या ओर कोई विचार विमर्श किया जा रहा है। वहीं बीकानेर पश्चिम से ब्राह्मण चेहरे पर दावं लगाएगी। हालाकि इस सीट पर मूल ओबीसी पर भी चर्चा की गई। लेकिन प्रबल दावेदार की तलाश अभी तक खत्म नहीं होने से यहां ब्राह्मण प्रत्याशी पर ही मंथन किया जा रहा है। उधर पार्टी नोखा से बिहारी लाल विश्नोई को अपना प्रत्याशी लगभग तय कर चुकी है। लेकिन पार्टी के लिये लूणकरणसर,कोलायत और श्रीडूंगरगढ़ में संशय के बादल मंडरा रहे है। यहां पार्टी के लिये कशमकश वाले हालात है। जहां लूणकरणसर व श्रीडूंगरगढ़ में से किसी एक पर ब्राह्मण को टिकट देने पर चर्चा हो रही है ंतो कोलायत में पूर्व मंत्री देवीसिंह भाटी का विकल्प तलाशा जा रहा है। बताया जा रहा है कि लूणकरणसर में अगर जाट को उम्मीदवार बनाया जाता है तो श्रीडूंगरगढ़ में ब्राह्मण को टिकट दिया जा सकता है। परन्तु इन सीटों को लेकर भाजपा का इतिहास कुछ ओर ही बयां करता है। श्रीडूंगरगढ़ में पार्टी जब जब भाजपा ने ओबीसी को टिकट दिया है। भाजपा ने इस सीट पर जीत दर्ज की है। शायद पार्टी ने इस गणित को ध्यान में रखते हुए तीन बार के विधायक किसनाराम नाई को पार्टी में वापिस शामिल किया है। लेकिन उनकी टिकट को लेकर अभी तक कोई विचार नहीं किया है। हां यहां किसी अन्य मूल ओबीसी को लेकर पार्टी मंथन जरूर कर रही है। वहीं अगर लूणकरणसर से वर्तमान विधायक को ही हरी झंड़ी मिलती है तो पार्टी को बड़े वोट बैंक की नाराजगी झेलनी पड़ सकती है। उधर कोलायत में भी पार्टी इस बार बदलाव के मूड में नजर आ रही है। यहां से पार्टी एससी या मूल ओबीसी को टिकट देने को लेकर चर्चा कर रही है। वैसे अनूपगढ सीट रिजर्व है और यहां पार्टी पूर्व संसदीय सचिव तथा मंत्री पुत्र को टिकट देने को लेकर उलझन में है। अब देखना है कि जातिय गणित के मझदार में उलझी पार्टी किस तरह सोशल इंजीनियरिंग को ध्यान में रखते हुए टिकट देती है।
अन्य दल बिगाड़ेगें खेल
ऐसा नहीं कि टिकट वितरण को लेकर केवल भाजपा में उहापोह के हालात है। कांग्रेस भी इसी उलझन से निकल रही है। लेकिन इन दोनों ही पार्टियों के लिये अन्य दलों के उम्मीदवार खेल बिगाड़ेगें। लूणकरणसर,कोलायत,श्रीडूंगरगढ़,अनूपगढ में रालोपा ने अगर प्रत्याशी उतार दिएं तो निश्चित तौर पर दोनों ही दलों की राजनीतिक गणित बिगड़ना तय है। वहीं नोखा में विकास मंच दोनों दलों के लिये सिरदर्द बन सकती है। इधर बीकानेर पूर्व में भी आप या निर्दलीय पार्टियों के लिये परेशानी खड़ा कर सकती है।