तहलका न्यूज,बीकानेर। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में जवान रामस्वरूप कस्वां की मौत के मामले में जारी धरने पर आज नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल ने भाजपा सरकार व जिला प्रशासन पर जमकर भड़ास निकाली।उन्होंने कहा कि अगर बीकानेर का प्रशासन समझदार होता,हमारी कौम के नेताओं का खून पानी नहीं होता तो हमारे नौजवानों को ऐसे धरने पर नहीं बैठना पड़ता। बेनीवाल ने कहा कि यहां बैठे भाजपा के नेता नहीं चाहते कि किसान कौम का भला हो। सेना को ठेके पर दे दिया। उनको कोई चिंता नहीं है। भाजपा सिर्फ धार्मिक भावनाओं से खेलते हैं। नागौर सांसद ने कहा कि कस्वां की मौत के मामले में डिप्रेशन की बात सामने आ रही है। ऐसे अगर लोग डिप्रेशन के शिकार होने लगे, सेना की नौकरियां छोड़कर आने लगे तो कोई भविष्य नहीं रह जाएगा। ना कोई पेंशन है,ना शहीद का दर्जा है तो फिर कोई क्यों देश के लिए लड़ेगा। हम केवल शहीद का दर्जा मांग रहे हैं। कोर्ट ऑफ इंक्वायरी चल रही है।
सेना ने बताया था गोली लगी है
उन्होंने कहा कि 24 की शाम को ही मेरी बात जवान रामस्वरूप के भाई श्रीराम से हुई। उन्होंने बताया कि सेना के अधिकारियों की तरफ से गोली लगने की बात कही गई। सुसाइड की कोई बात नहीं कही। अगर आत्महत्या होती तो रामस्वरूप पढ़े लिखे थे, वे सुसाइड नोट लिखते अपनी बात कहते। ऐसे में कोर्ट ऑफ इंक्वायरी की कोई आवश्यकता नहीं थी।
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अब तक सरकार से कोई नहीं आया
सांसद ने कहा-कोई सेना में बीमारी या दुर्घटना में मारा जाए तो उसे शहीद मानते हैं। गलती पूर्वक हथियार चल जाए तब भी शहीद माना जाता है। सर्व समाज को उनकी चिंता है। देश के जान सबसे ज्यादा किसानों के बेटों ने दी है। सेना के जवान का परिवार यहां धरने पर बैठा है इससे बड़ा दुर्भाग्य नहीं हो सकता। सरकार को यहां आने चाहिए,मंत्री भी किसान के बेटे हैं। गोविंदराम मेघवाल को आना चाहिए।
केड़ली के जवान का दिया उदाहरण
उन्होंने कहा- मैं यहां पहले ही आ जाता, मेरी माताजी बीमार थी, उनको अस्पताल से छुट्टी दिलवा कर यहां आया हूं। मैं विश्वास दिलाता हूं कि कस्वां परिवार को न्याय दिलाए बिना यहां से नहीं जाऊंगा। जब नोखा के केड़ली के जवान तुलसाराम सियाचिन ग्लेशियर में शहीद हुए तब भी नहीं बताया गया था कि वे शहीद कैसे हुए। इस मामले को भी मैंने संसद में उठाया था। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मुलाकात की थी और उन्हें शहीद का दर्जा दिलवाया था।जवान रामस्वरूप के साथ हनुमान बेनीवाल समेत समाज के प्रतिनिधियों ने चर्चा की है।
इन मांगों पर अड़े
रामकिशन कस्वां के परिवार के साथ बातचीत के लिए नागौर सांसद हनुमान बेनीवाल, नोखा विधायक सुशीला डूडी, डूंगरगढ़ के पूर्व विधायक मंगलाराम गोदारा मौजूद हैं। इस वार्ता के बाद प्रशासन के साथ बात होगी। रामस्वरूप कस्वां को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए बनी संघर्ष समिति और प्रशासन के बीच जिन मुद्दों को लेकर सहमति नहीं बन रही है, उसमें सबसे बड़ी मांग शहीद का दर्जा ही है। दरअसल, शहीद का दर्जा देने का अधिकार जिला प्रशासन और राज्य सरकार के पास नहीं है। वहीं शहीद की तरह अंतिम यात्रा व अंतिम संस्कार की डिमांड है। इस पर प्रशासन सहमत है। वहीं जिला सैनिक अधिकारी पर कार्रवाई अब तक नहीं हुई है। परिजनों की डिमांड है कि आत्महत्या घोषित करने वाले जिला सैनिक अधिकारी को तुरंत हटाया जाए।
शहर में रहा जाम
हाईवे जाम होने से बीकानेर शहर में जाम की रही। रास्ता जाम होने के कारण पब्लिक पार्क से जयपुर रोड की ओर जाने वाले वाहन अब जिला कलेक्टर आवास के आगे से पंचशति सर्किल से सार्दुलगंज कॉलोनी होते हुए निकल रहे हैं। वहीं जयनारायण व्यास कॉलोनी, पवनपुरी सहित अन्य मार्गों से पब्लिक पार्क की ओर जाने वाले वाहन अब सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज से अम्बेडकर सर्किल होते हुए निकल रहे हैं। वहीं बड़ी संख्या में वाहन पीबीएम अस्पताल के अंदर से निकल रहे हैं। जिस मार्ग से मरीजों को ले जाया जा रहा है, उसी मार्ग से सामान्य वाहन भी जा रहे हैं। वाहनों की आवाजाही से मरीजों को परेशानी हो रही है। स्कूल जाने वाले बच्चों को भी लंबी दूरी तय करके निकलना पड़ा।