तहलका न्यूज,बीकानेर। अपेक्स हास्पिटल बीकानेर में बीकानेर संभाग के एकमात्र हार्ट सर्जन डॉक्टर जयकिशन सुथार व उनकी टीम ने मरीज सुमन ( बदला हुआ नाम) का बिना छाती की हड्डी कटे मिनिमलि इनवेसिव तकनीक द्वारा जटिल हार्ट आपरेशन किया। मरीज सुमन को काफी समय से दिल में दर्द, सांस उठना आदि समस्या होती थी, कार्डियोलॉजिस्ट से जांच क रवाने पर डॉक्टर ने उन्हें एंजियोग्राफी करने की सलाह दी, एंजियोग्राफी करने पर मरीज के दिल की नसों में अत्यधिक ब्लॉकेज होने के कारण, हार्ट सर्जरी करवाने की सलाह दी । मरीज के इस तकनीक द्वारा चिकित्सकों ने छाती की हड्डी काटे बिना यह जटिल सर्जरी की। अपेक्स हास्पिटल के वरिष्ठ हृदय शल्य चिकित्सक डा. जयकिशन सुथार ने बताया कि हृदय शल्य चिकित्सा की यह एक आधुनिक पद्धति है। इसमें पारपरिक पद्धति की तरह छाती की हड्डियों को काटने व छाती को खोलने की आवश्यकता नहीं होती।यह पूरी प्रक्रिया बिना छाती की हड्डी कटे केवल सात से आठ सेंटीमीटर के छोटे से चीरे के माध्यम से होती है। कार्डियक एनेस्थेटिक डा. गिरीश तंवर ने बताया कि इसके बहुत से फायदे हैं जैसे छाती की हड्डी काटने नही पड़ती , कम से कम रक्त की हानि, जान की न्यूनतम जोखिम, संक्रमण की संभावना कम होना और लगभग दर्द रहित प्रक्रिया है, जबकि सामान्य बायपास सर्जरी में संक्रमण की संभावना अधिक रहना, अधिक रक्तस्राव और जान के जोखिम की संभावना अधिक रहती है ।
अपेक्स हास्पिटल के मुख्य कार्यपालन अधिकारी मनदीप मखवाना व मैनेजर सचिन सुथार ने कहा कि यह बीकानेर के लोगों के लिए काफी फायदेमंद है और बायपास, वाल्व वाले मरीज के लिए किसी वरदान से कम भी नहीं है । इससे मरीजों में व्याप्त हार्ट सर्जरी के डर व झिझक भी दूर होगी। मरीज की संपूर्ण रिकवरी अवधि के दौरान, आपका स्वास्थ्य प्रदाता आपकी प्रगति का मूल्यांकन करने के लिए आपके संपर्क में रहेगा और आपको किसी बड़ी सर्जरी से उबरने के दौरान होने वाले तनाव और चिंता को प्रबंधित करने में मदद करेगा। सर्जिकल टीम पूरी प्रक्रिया के दौरान सकारात्मक दृष्टिकोण बनाए रखती है। अपेक्स हास्पिटल के डायरेक्टर डा. सचिन झवर ने डा. जयकिशन सुथार, कार्डियक एनेस्थेटिक डा. गिरीश व उनकी पूरी हार्ट सर्जरी टीम को बधाई देते हुए कहा कि इस तरह की नई तकनीक वाली सर्जरी न केवल बीकानेर वासियों के लिए बल्कि पूरे राजस्थान के लिए गर्व की बात है ।
मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी क्या होती है?
मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी एक प्रकार की सर्जरी है जो छाती में एक छोटे से चीरे के माध्यम से की जाती है, इसलिए इसमें कोई हड्डी नहीं काटी जाती है जिससे दर्द और निशान कम होते हैं और रिकवरी भी तेजी से होती है। जबकि,ओपन हार्ट बाईपास सर्जरी के दौरान, आपकी छाती के बीच में एक लंबा चीरा लगाया जाता है, जिसके बाद रिकवरी का समय लंबा होता है।
किसी व्यक्ति को न्यूनतम इनवेसिव बाईपास सर्जरी की आवश्यकता क्यों हो सकती है?
आपका स्वास्थ्य सेवा प्रदाता मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी की सलाह तब दे सकता है जब आपकी एक या दो धमनियों में रुकावट हो, ज़्यादातर हृदय के सामने और हृदय को पर्याप्त रक्त नहीं मिल पाता। साथ ही, कुछ मरीज़ संक्रमण के जोखिम को कम करने, अस्पताल में कम समय बिताने और जल्दी से सामान्य गतिविधियों में वापस आने के लिए इस तरह की सर्जरी को प्राथमिकता देते हैं। वृद्ध लोगों के लिए मिनिमली इनवेसिव बाईपास सर्जरी की सलाह दी जाती है।
• न्यूनतम इनवेसिव बाईपास सर्जरी से उबरने में कितना समय लगता है?
इस प्रक्रिया में लगभग दो से पांच घंटे लगते हैं। सर्जरी के बाद, आप आमतौर पर ICU में स्थानांतरित कर दिया जाएगा और कुछ दिनों के लिए निगरानी में रखा जाएगा। चौथे दिन, आपको छुट्टी दे दी जाएगी। 7 से 10 दिनों के भीतर, व्यक्ति अपनी पिछली दिनचर्या में वापस आ जाता है। जबकि सामान्य तरीके से बायपास करने पर छाती की हड्डी के कट को पूरी तरह से ठीक होने में लगभग 2 से 3 महीने लगते हैं। उस समय के दौरान, रोगी भारी वजन नहीं उठा सकता है। मध्य छाती को खोलने और रोगी को इतना दर्द देने के बजाय, इस विधि से स्टर्नोटॉमी दर्द से बचा जा सकता है।
डा. सुथार ने बताया कि बीकानेर में अब आधुनिक तकनीक से हार्ट की बायपास सर्जरी वाल्व सर्जरी का होना किसी वरदान से कम नहीं है , क्योंकि इस तरह की सर्जरी के लिए लोगो को पहले जयपुर, अहमदाबाद, गुडगांव ,दिल्ली जाना पड़ता था , जो की अब बीकानेर में ही होने लग गई है । जानकारी के लिए बता दे की जिन मरीजों के हृदय की बंद या संकरी धमनियों को एंजियोप्लास्टी से नहीं खोला जा सकता, उनको बाइपास सर्जरी की सलाह दी जाती है और यही अगर कोरोनरी आर्टरी सर्जरी तकनीक से बायपास करते है तो सामने से छाती की हड्डी काटने की जरूरत नहीं पड़ती , छोटा चीरा लगाया जाता है, जिसके कारण जटिलताएं व दर्द कम होता है। साथ ही मरीज कम समय में अपनी आम दिनचर्या की ओर लौट जाता है। इस तक नीक से अब तक कई मरीजों की सर्जरी हो चुकी है। सीटीवीएस डिपार्टमेंट के निदेशक डॉ जयकिशन सुथार ने बताया कि अब मरीज सुमन बिल्कुल स्वस्थ है, मरीज को अपने पने परिजनों से मिला दिया गया है, परिजनों ने इस तरह की आधुनिक सर्जरी की सरहाना की । पूरे भारत में बहुत कम ऐसे अस्पताल हैं, जहां एमआइसीएएस पद्धति से बाइपास सर्जरी होती है। ऑपरेशन के दौरान मरीज को हार्ट लंग बायपास मशीन पर भी नहीं रखना पड़ता।डॉ सुथार ने बताया कि नई प्रक्रिया भी पुरानी ओपन हार्ट सर्जरी की तरह ही प्रभावी है। छोटा चीरा लगाने व छाती की हड्डी न काटने की वजह से मरीज को ऑपरेशन के बाद दर्द कम होता है। साथ ही जटिलताएं कम होती हैं। मरीज को ऑपरेशन के बाद जल्द ही अस्पताल से छुट्टी दे दी जाती है। साथ ही वह 15 दिनों के भीतर ही अपने रोजमर्रा के काम करने के लायक हो जाता है।
यह थी टीम-
ओ टी टीम –
हार्ट सर्जन डॉक्टर जयकिशन सुथार,एनेस्थेटिक डॉक्टर गिरीश तंवर,परफ्यूजनिस्ट पवित्र चौहान,ओ टी असिस्टेंट राजेंद्र नागर,एनेस्थिया टेक्नीशियन आदित्य,नर्सिंग स्टाफ श्रवण जाट,अर्पण,प्रिया,हर्षवर्धन आदि शामिल थे।
आईसीयू टीम –
डॉक्टर खेताराम,आईसीयू इंचार्ज शंकरलाल,अंजली,रमेश,जिनेश,कन्हैयालाल,सुनील आदि शामिल थे।