तहलका न्यूज,बीकानेर। चार्ज करते समय मोबाइल की बैटरी में ब्लास्ट हो गया। इससे घर में आग लग गई। घटना के समय घर के अंदर 2 बच्चे सो रहे थे। तीन महीने की बच्ची की हालत गंभीर है। वह 35 प्रतिशत तक झुलसी है। दोनों बच्चों को बचाने में युवक के दोनों हाथ जल गए हैं। तीनों को हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। मामला बीकानेर के लूणकरनसर का है। हंसेरा में रहने वाले सोहन राम मेघवाल के दो जवाई मुकेश और रमेश हैं। ये दोनों सगे भाई हैं। दोनों जवाई फसल कटाई के लिए आए थे। शनिवार सुबह परिवार सहित दोनो जमाई ढाणी से कुछ दूरी पर स्थित खेत में फसल काट रहे थे। मुकेश और रमेश की बहन सुलोचना भी साथ आई हुई थी। ढाणी के पास ही बने झोपड़े में पुराने मोबाइल चार्ज पर लगे थे। सुलोचना ढाणी में खाना बना रही थी। ढाणी के झोपड़े से अचानक एक 4 चार का बच्चा दौड़ते हुए बाहर आया। सुलोचना को बताया कि अंदर झोपड़े में आग लगी है।

अंदर सो रहे थे 2 बच्चे
झोपड़े में तीन महीने की तपस्या पुत्री मुकेश और मानव (2) पुत्र मघाराम झोपड़े में सो रहे थे। अंदर चार्ज होते मोबाइल में विस्फोट हुआ और आग लग गई। झोपड़ा खींप (घास) से बना हुआ था। सुलोचना ने फौरन रमेश और मुकेश को आवाज लगाई। दोनों झोपड़े की ओर दौड़े। सामने आग धधक रही थी। मुकेश ने आग की परवाह न करते हुए दोनों बच्चों को बाहर निकाल लिया। इस दौरान मुकेश के दोनों हाथ जल गए। दोनों बच्चे भी आग की चपेट में आ गए थे। तीन महीने की तपस्या 35 प्रतिशत तक झुलस गई है। मानव मामूली रूप से झुलसा है।हादसे के बाद ढाणी में बड़ी संख्या में ग्रामीण पहुंच गए। तीनों को ग्रामीणों की मदद से बीकानेर के पीबीएम अस्पताल पहुंचाया गया है, जहां इलाज चल रहा है।

सोने-चांदी के जेवर भी जले
आग लगने के कारण घर का काफी सामान जलकर राख हो गया। इसमें सोने-चांदी के जेवर भी थे। इनकी कीमत करीब एक लाख रुपए आंकी जा रही है। इसके अलावा 30 हजार रुपए नकद थे, जो राख हो गए। वहां रखा मोबाइल भी पूरी तरह जल गया। झोपड़े में 4 कट्टे यूरिया, 1 कट्टा खल और एक क्विटल गेहूं भी जल गए।

इसलिए होते हैं हादसे
गांवों और ढाणियों में लोग लकड़ी के बलों (लंबी व गोल लकड़ी) के साथ खींप (एक तरह की घास) के साथ झोपड़ी बनाते हैं। घास सूखने के बाद आग जल्दी पकड़ती है। ऐसे में इस खींप के पास एक चिंगारी पहुंचते ही आग लग जाती है। जब पूरा झोपड़ा ही खींप से बना होता है तो आग से निकल पाना मुश्किल होता है। बीकानेर में कई बार इस हादसे में लोगों की मौत हुई है। अनाज से लेकर मवेशी तक जल जाते हैं।