तहलका न्यूज,बीकानेर। जिला बैडमिन्टन संघ के नवनिर्वाचित अध्यक्ष मिश्री बाबू जनागल ने कहा कि संघ की नई कार्यकारिणी के चुनाव संघ के संविधान के अनुरूप हुए है। जिसके लिये पूरी पारदर्शिता अपनाई गई है। पत्रकारों से रूबरू होते हुए जनागल ने संचालन समिति के सदस्यों की ओर से दुबारा जिला स्तरीय टूर्नामेंट करवाने तथा चुनाव को असंवैधानिक बताते पर सवाल उठाते हुए कहा कि संघ की ओर से 13 जून को ही चुनाव की प्रक्रिया शुरू कर प्रदेश पदाधिकारियों को अवगत करवा दिया गया। यहीं नहीं पांच जुलाई को चुनाव करवाकर उसकी सूचना मेल द्वारा प्रदेश संघ को भेज दी गई। साथ ही सहकारिता विभाग व खेल अधिकारी को भी इसकी इतला दी गई है। रही बात चुनाव के समय ओलम्पिक संघ व प्रदेश प्रतिनिधि के उपस्थिति की तो पूरी प्रक्रिया के समय ओलम्पिक संघ के पदाधिकारी बतौर पर्यवेक्षक मौजूद रहे। जिनके हस्ताक्षर भी प्रक्रिया उपरान्त बनाई गई रिपोर्ट में किये हुए है। जनागल ने कहा कि चयन समिति जिला स्तरीय प्रतियोगिता किस आधार पर करवाएगी। कोई भी नाराज हो,काम संवैधानिक तरीके से ही होगा। अध्यक्ष ने कहा कि जो चयन समिति बनी है उनके कई सदस्यों से सहमति नहीं ली गई है। प्रेस वार्ता में सचिव नारायण पुरोहित,पूर्व अध्यक्ष डॉ अनंत जोशी,जे पी व्यास,अनिल व्यास,हरिकिशन रंगा भी मौजूद रहे।
छःजुलाई को खत्म हो रहा था कार्यकाल,पांच को ही हो गये चुनाव
जनागल ने कहा संविधान के अनुसार कार्यकाल खत्म होने के 21 दिन पहले चुनाव की प्रक्रिया शुरू हो जानी चाहिए। उसी के अनुरूप पंाच जुलाई को कार्यकाल खत्म होने से पहले ही चुनाव हो गये और छः जुलाई को प्रदेश संघ की ओर से नोटिस देकर जबाब देने का क्या औचित्य है। इसका मतलब साफ रहा कि पूर्व से यह सब तय था। उन्होंने कहा कि पूर्व निर्धारित सात-आठ जुलाई को जिला स्तरीय प्रतियोगिता करवाई जानी थी। ऐसे में चुनाव को टालना संवैधानिक रूप से भी उचित नहीं था। चुनाव को लेकर सभी संबंधित अधिकारियों को पूर्व व पश्चात में लिखित सूचनाएं दी जा चुकी है। जनागल ने कहा कि राजस्थान बैडमिन्टन संघ द्वारा गठित चयन समिति की ओर से जिला स्तरीय व राज्य स्तरीय प्रतियोगिताओं की जिम्मेदारी की बात सामने आ रही है। किन्तु इससे स्थानीय संघ बेखबर है,उन्हें किसी प्रकार की सूचना नहीं दी गई है।
जिला खेल अधिकारी की भूमिका पर उठे सवाल
उधर चयन समिति के गठन और जिला बैडमिन्टन संघ के चुनावों में स्थानीय पर्यवेक्षक के रूप में जिला खेल अधिकारी की भूमिका अहम होती है। उनका चुनावी प्रक्रिया में शामिल नहीं होने पर अब सवाल उठने लगे है। दबे स्वरों में इसे जानबुझकर न आने की बात सामने आ रही है।