तहलका न्यूज,बीकानेर। भाजपा की संकल्प यात्रा में जिस प्रकार दावेदारों ने उपरी दिखावा किया। ठीक वैसे ही कांग्रेस के दावेदारों के ये हालात एम एम ग्राउंड में देखने को मिले। जब शहर व देहात कांग्रेस की जंबो कार्यकारिणी,अग्रिम संगठनों की कार्यकारिणी,तीन दर्जन से ज्यादा पार्षद तथा पांच दर्जन के करीब दावेदार होने के बाद भी मुख्यमंत्री के विजन 2030 संवाद कार्यक्रम में अपेक्षा के अनुरूप भीड़ नहीं जुट पाई। हालात ये रहे कि आपसी टांग खिचाई करने वाले कांग्रेसजनों की लाज स्कूली,कॉलेजी विद्यार्थियों के साथ साथ ज्ञापन देने आएं लोगों ने रख ली। वरना वो भी भीड़ नहीं जुट पाती। हालाकि कांग्रेसी नेता सीएम के देरी से आने को इसकी वजह बता रहे है। पर हकीकत में कांग्रेस के पदाधिकारियों व नेताओं से भीड़ नहीं जुट पाई थी। इसके बाद सोशल मीडिया पर भी एम एम ग्राउंड के संवाद कार्यक्रम में भीड़ नहीं जुट पाने के विडियो जारी होकर उपहास के कोटेशन के साथ विरोधियों ने अपलोड भी किये। किसी ने इसे फ्लोप शो कहा तो किसी ने महज रस्म अदायगी। हालात यह रहे कि सभी के समर्थक अपने अपने नेता के नारे लगाते नजर आएं। जिससे परेशान होकर एक बार शिक्षा मंत्री और दूसरी बार प्रदेशाध्यक्ष को बीच में टोकना पड़ा। साथ ही प्रदेशाध्यक्ष ने चुनाव तक इस जोश को बरकरार रखने की सीख दे डाली। जिससे कई युवाओं में प्रदेशाध्यक्ष को लेकर नाराजगी भी सामने आई।

डोटसरा दिखे उखड़े-उखड़े
कार्यक्रम के दौरान अपने भाषण में प्रदेशाध्यक्ष गोविन्द डोटसरा कुछ उखड़े उखड़े दिखाई दिए। पहले उन्होंने अपने वरिष्ठ नेता डॉ बी डी कल्ला को बातों ही बातों में सुना दिया। उन्होंने कल्ला के समर्थन में लगे नारों को आधार बनाकर उनकी खिचाई का प्रयास किया। फिर महेन्द्र गहलोत को मंत्रियों के मंत्री की उपमा देकर न जाने किस ओर इशारा किया। इस दौरान एनएसयूआई के कार्यकर्ता को भी टोकते हुए अनुशासन का पाठ पढ़ाया।

प्रधान प्रतिनिधि-सरपंच प्रतिनिधि शब्दों पर कानूनी प्रावधान की बात आई सामने
संवाद के दौरान डूंगर कॉलेज की छात्रा अनु ज्याणी ने सीएम से महिला सशक्तिकरण को ओर मजबूत बनाने के लिये प्रधान प्रतिनिधि,सरपंच प्रतिनिधि,पार्षद प्रतिनिधि जैसे शब्दों पर कानूनी प्रतिबंध लगाने की बात कही तो उपस्थित जनसमूह ने उसके इस बात का समर्थन किया।

अपनी जिम्मेदारी से भागे कांग्रेसी पदाधिकारी
इस संवाद कार्यक्रम को सफल बनाने के लिये जिलाध्यक्ष सहित जिले के वरिष्ठ मंत्री ने सभी को जिम्मेदारी के निर्वहन की सीख दी थी। किन्तु उसका कोई प्रभाव देखने को नहीं मिला। मंजर यह रहा कि मतदाता सूची को आधार बनाकर अप्रत्यक्ष विरोध करने वालों ने भी इस आयोजन को लेकर विशेष रूचि नहीं दिखाई।