तहलका न्यूज,बीकानेर। बेसिक पी.जी. महाविद्यालय में बीएससी, बीकाम एवं बीए के अंतिम वर्ष के प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण छात्र-छात्राओं के प्रोत्साहन हेतु सेलिब्रेशन 2023 पुरस्कार वितरण समारोह कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि एमजीएसयू के रजिस्ट्रार अरुणप्रकाश शर्मा, विशिष्ट अतिथि एमजीएसयू के एडिशनल रजिस्ट्रार डॉ बिट्टल बिस्सा, कॉलेज शिक्षा आयुक्तालय के सहायक निदेशक डॉ चन्द्रशेखर रंगा, राजकीय डूँगर महाविद्यालय के इतिहास विभाग की प्रोफेसर श्रीमती (डॉ.) अनिला पुरोहित, प्रोफेसर, इतिहास विभाग,डॉ. धीरज कल्ला,वरिष्ठ सदस्य,महाविद्यालय प्रबंध समिति रहे। कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री रामजी व्यास, अध्यक्ष,महाविद्यालय प्रबंध समिति ने की। कार्यक्रम के प्रारम्भ में महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा पधारे हुए अतिथियों का परिचय देते हुए स्वागत उद्बोधन के साथ-साथ महाविद्यालय का प्रगति प्रतिवेदन प्रस्तुत किया गया। महाविद्यालय की उपलब्धियों को बताते हुए डॉ. पुरोहित ने बताया कि इस वर्ष स्नातक स्तर पर बी.एससी., बी.कॉम. एव बी.ए. तथा स्नातकोत्तर स्तर पर एम.एससी. (प्राणिविज्ञान, वनस्पतिविज्ञान, रसायन विज्ञान, गणित) व एम.कॉम. (एबीएसटी) के परीक्षा परिणाम 100 प्रतिशत रहे हैं। इस परीक्षा परिणाम में न केवल छात्र-छात्राओं ने सर्वाेच्च अंक प्राप्त किए हैं बल्कि लगभग 600 विद्यार्थी प्रथम श्रेणी से उत्तीर्ण हुए। डॉ. पुरोहित ने बताया कि महाविद्यालय में शैक्षणिक पाठ्यक्रमों के नियमित अध्ययन के साथ-साथ प्रतियोगी परीक्षाओं हेतु निरूशुल्क तैयारी, ई-लाईब्रेरी, पर्सनल्टी डवलमेंट, स्पोकन इंग्लिश, शैक्षणिक भ्रमण, खेलकूद आदि ऐसी विभिन्न गतिविधियां हैं जो हमारे महाविद्यालय को और बेहतर बनाता है।प्राचार्य पुरोहित ने बताया कि छात्रा लतिका स्वामी ने बीएससी (द्वितीय वर्ष) में 93 प्रतिशत अंक प्राप्त करते हुए विश्वविद्यालय की टॉपर छात्रा रही। महाविद्यालय द्वारा छात्रा को प्रोत्साहित एवं पुरस्कृत करते हुए प्रतीक चिह्न के साथ 11000 रुपये का चौक भी प्रदान किया गया। कार्यक्रम के दौरान स्नातक स्तर पर अंतिम वर्ष में सर्वाेच्च अंक प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों एवं स्टाफ सदस्यों को अतिथियों द्वारा पुरस्कृत एवं सम्मानित किया गया। मुख्य अतिथि अरुणप्रकाश शर्मा ने विद्यार्थियों की उत्कृष्ट प्रतिभा का उल्लेख करते हुए कहा कि लक्ष्य निर्धारित करके तैयारी करने से ही लक्ष्य की प्राप्ति होती है। इसलिए विद्यार्थियों को निरन्तर लक्ष्य केन्द्रित होना चाहिए। शर्मा ने विद्यार्थियों को बताया कि भविष्य की योजनाओं को तय करने के लिए विद्यार्थी जीवन सबसे महत्वपूर्ण समय है। प्रत्येक व्यक्ति जीवन में सफल होना चाहता है, इसलिए प्रत्येक विद्यार्थी में सीखने की आदत, चुनौतियों का सामना करने का जज्बा और आत्म मूल्यांकन करने का साहस होना चाहिए। इस अवसर पर विशिष्ट अतिथि डॉ बिठ्ठल बिस्सा ने अपने अनुभवों को विद्यार्थियों के साथ साझा करते हुए बताया कि विद्यार्थियों को विश्वास, साहस, धैर्य तथा कठिन परिश्रम से भविष्य में आगे बढऩा चाहिए। डॉ. बिस्सा ने कहा कि सभी छात्र-छात्राएं आगे आने वाली हर चुनौती को एक अवसर के रूप में लेते हुए धैर्य के साथ आगे बढ़ें। सफलता का कोई शार्टकट नहीं होता है इसलिए कठिन मेहनत करते हुए अपने लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए तत्पर रहें।
डॉ. चन्द्रशेखर रंगा ने छात्रों को संबोधित करते हुए विद्यार्थियों की दिनचर्या एवं गुणों के बारे में विस्तार से प्रकाश डाला तथा विद्यार्थी जीवन में अध्ययन को तनावमुक्त, एकाग्रचित्त मन से भयमुक्त होकर रहने के लिए आध्यात्मिकता योग, शारीरिक एवं नैतिक शिक्षा के बारे में जानकारी दी। डॉ. रंगा ने छात्रों को बताया कि उन्होंने महाविद्यालय जीवन में जो भी सीखा है उन्हें भविष्य में उन सभी गुणों को अपने क्षेत्र में जाकर साझा करें। प्रोफेसर अनिला पुरोहित ने कहा कि आपके जीवन में शिक्षा का बहुत महत्व है क्योंकि आपके जीवन की राजनीतिक उन्नति, सामाजिक, आर्थिक एवं आध्यात्मिक उन्नति के विभिन्न विषय इसी शिक्षा से जुड़े हुए हैं इसलिए शैक्षणिक ज्ञान के साथ-साथ सह-शैक्षणिक गतिविधियां छात्रों के जीवन में आत्मसम्मान को बढ़ाती है।कार्यक्रम के दौरान महाविद्यालय प्रबंध समिति के अध्यक्ष रामजी व्यास, वरिष्ठ सदस्य डॉ. धीरज कल्ला, सचिव अमित व्यास एवं महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. सुरेश पुरोहित द्वारा सभी अतिथियों को साफा, शॉल एवं प्रतीक चिह्न भेंट कर सम्मानित किया गया।कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय स्टाफ सदस्य डॉ. मुकेश ओझा,डॉ. रमेश पुरोहित, डॉ. रोशनी शर्मा,वासुदेव पंवार,श्रीमती माधुरी पुरोहित,श्रीमती प्रभा बिस्सा, सौरभ महात्मा, श्रीमती संगीता व्यास,विकास उपाध्याय,सुश्री अंतिमा शर्मा,श्रीमती अर्चना व्यास,अजय स्वामी, श्रीमती शालिनी आचार्य, श्रीमती प्रेमलता व्यास, सुश्री जया व्यास, डॉ. नमामिशंकर आचार्य,हितेश पुरोहित,पंकज पाण्डे, गुमानाराम जाखड़,शिवशंकर उपाध्याय आदि का उल्लेखनीय योगदान रहा।