तहलका न्यूज,बीकानेर। शहर के अंत्योदय नगर में एक ही परिवार के पांच सदस्यों के फांसी खाने के मामले में पुलिस ने नया खुलासा कर दिया है। अब तक माना जा रहा था कि पांच सदस्यों में एक ने विषाक्त पदार्थ खाकर जान दी थी, जबकि शेष चार ने फांसी लगाई थी। अब पोस्टमार्टम रिपोर्ट में साफ हो गया है कि सभी ने फांसी लगाकर ही जान दी थी। एसपी तेजस्वनी गौतम ने बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में स्थिति स्पष्ट हो गई है कि सभी ने फांसी लगाई थी। घर का मुखिया हनुमान, पत्नी विमला, बेटे ऋषि और मोनू व बेटी गुडिय़ा ने अलग-अलग तीन जगह फांसी लगाई थी। पोस्टमार्टम रिपोर्ट से ये भी स्पष्ट हो गया कि किसी को पहले मारकर फांसी पर नहीं लटकाया गया था। बल्कि सभी ने फंदा ही लगाया था। एसपी ने कहा कि मीडिया में ही ये बात आई थी कि एक ने विषाक्त पदार्थ खाया है, जबकि ऐसे कोई लक्षण प्रथम दृष्ट्या नहीं मिले थे। किसी भी मृतक के शरीर पर चोट के भी निशान नहीं है। जिससे ये प्रतीत हो कि हत्या की गई हे।

सम्पति के कागज खंगाले
उधर, पुलिस ने हनुमान सोनी के पिता और भाई आदि से पूछताछ करके ये पता लगाने का प्रयास किया है कि पचास लाख रुपए की किस जायदाद में उसे हिस्सा नहीं मिला था। जो कागज तैयार किए गए, उनमें कोई फर्जीवाड़ा किया गया या नहीं? अब तक पुलिस को ऐसे कोई प्रमाण नहीं मिले हैं, जिसमें पचास लाख रुपए के हिस्से वाली सम्पति हो।

पड़ौसियों से हुई पूछताछ
उधर, पुलिस ने अपने स्तर पर पड़ौसियों से पूछताछ की। सभी ने ये ही बताया कि दो बच्चे जरूर बाहर खेलते थे,इसके अलावा पति पत्नी कभी पड़ौसियों से घुले मिले ही नहीं थे। मोनू घर के सामने बने मंदिर में खेलने के लिए हर रोज पहुंचता था और बेटी गुडिय़ा आसपास की लड़कियों के साथ बेडमिंटन खेलती थी। खुद एसपी पूछताछ के लिए वापस इस मकान पर गई थी।

किराया भी बाकी नहीं था
मकान किराया भी बकाया नहीं था। पुलिस ने मकान मालिक अनिल रंगा से इस बारे में पूछताछ की। जिसमें रंगा ने बताया कि सिर्फ एक महीने का ही किराया बकाया था। हर महीने वो समय पर छह हजार रुपए किराया दे देता था। दस साल में कभी किराए को लेकर कोई विवाद ही नहीं हुआ।