




तहलका न्यूज,बीकानेर। राइट टू हेल्थ बिल पारित होने के बाद चिकित्सकों का पारा अब चढऩे लगा है। शुक्रवार को हड़ताली चिकित्सकों ने जहां सीएम व चिकित्सा मंत्री का पुतला फूंका और थालियां बजाकर विरोध जताया। वहीं प्रेस वार्ता कर सरकार के खिलाफ जमकर भड़ास निकाली। आयुष्मान हार्ट केयर सेन्टर में आयोजित पत्रकार वार्ता में चिकित्सकों ने आरोप लगाया कि राजस्थान सरकार की ओर से पारित किए गए राइट टू हेल्थ अधिनियम सरकार का चुनावी वर्ष का जनता को भ्रमित करने का नया शिगूफा और निजी छोटी चिकित्सालयों को बंद करवाना, चिकित्सा सुविधा मे निर्धारित जी.डी.पी. का छह प्रतिशत की जगह एक प्रतिशत खर्च करने के प्रकरण को छुपाना है। राजस्थान सरकार की राज्य की जनता को स्वास्थ्य का अधिकार देने की अक्षमता है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन, बीकानेर इकाई सचिव डॉ.विकास पारीक ने बताया कि सरकार ने अपनी नाकामी को छुपाने के लिए निजी चिकित्सा क्षेत्र के कंधे पर बंदूक रखकर इस बिल को बनाया है जिससे सरकार इस प्रकार से प्रदर्शित करना चाहती है कि चिकित्सक जनता के शत्रु है और प्राइवेट अस्पताल इस बिल को रोकना चाहती है जबकि इस बिल के अंदर इतनी विसंगतियां है कि इस बिल से निजी अस्पतालों के साथ-साथ आम जनता का भी बहुत बड़ा नुकसान है। अभी तक इस बिल कानून नहीं बना है फिर भी सरकार ने विज्ञापन शुरू कर दिया है, जिससे भ्रमित होकर आम जनता को यह लग रहा है कि सरकार ने उन्हें बहुत बड़ा तोहफा दिया है, जबकि यह सरासर झूठ है। हमारा सरकार का सवाल है कि जब इस बिल के अंदर काम करने वाले लोग चिकित्सक है उनको विश्वास में लिए बिना कैसे इस बिल का लागू करने का प्रयास किया जा रहा है और चिकित्सकों की भावनाओं का निरादर करते हुए उनसे एक बार भी वार्ता की कोशिश नहीं की जा रही है अपितु उन्हें अलग-अलग संस्थाओं की तरफ से धमकाया जा रहा है। कोई भी चिकित्सक गन पोईन्ट पर रहकर चिकित्सा सेवा नहीं कर सकता । चिकित्सकों चलाएं जा रहे शांतिपूर्ण तरीके से चलाए जा रहे आंदोलन को दमनात्मक तरीके से लाठीचार्ज करना शर्मनाक है। सभी चिकित्सक लाठी चार्ज की निंदा करते है साथ ही कोटा में शांतिपूर्वक सुन्दरकांड पाठ करने वाले चिकित्सक को घसीट कर पुलिस द्वारा आधिरात को जबरदस्ती ले जाना अत्यंत निंदनीय व भत्र्सना योग्य है। चिकित्सकों ने महिला आयोग से अपील कि इस घटना का संज्ञान लेकर दोषियों के खिलाफ कार्यवाही करें। उन्होंने कहा कि सरकार द्वारा चिकित्सकों को बार-बार यह ज्ञान दिया जा रहा है कि चिकित्सा सेवा कार्य है, लेकिन सरकार से यह कोई क्यों नहीं पूछता कि राज्य की जनता के उत्तम स्वास्थ्य का दायित्व सरकार का है,ना कि निजी चिकित्सा संस्थाओं का । निजी चिकि त्सक यह बात इसलिए कहना चाहते है क्योंकि सरकार ने आज तक निजी चिकित्सा संस्थानों से वाणिज्यिक दर पर बिजली, पानी, फायर सुविधा से ले रही वहीं कई.अस्पतालों में जी.एस.टी. भी वसूल रही है। निजी चिकित्सकों को सरकार सेवाभावी नहीं मानते हुए व्यवसाय मानकर उसका शोषण कर रही है।
योजनाओं के जरिये वसूल रही है करोड़ों
डॉ गौरव गोम्बर ने कहा कि भारत सरकार की आयुष्मान योजना को राजस्थान सरकार ने चिरंजीवी योजना का नाम दिया है । केन्द्र सरकार व राज्य सरकार ने एक बीमा एजेन्सी से टाई अप कर राज्य सरकार चिरंजीवी योजना के माध्यम से करोड़ों रुपए का राजस्व सरकारी अस्पतालों से वसूल कर रही है तथा केन्द्र सरकार को अंगूठा दिखा रहे है। शिक्षा-चिकित्सा में सरकार अपने दायित्व के अनुसार जनता के लिए व्यय नहीं कर जनता को गुमराह किया जा रहा है । संवाददाता सम्मेलन में बताया गया कि सरकार ने चिरंजीवी योजना, भामाशाह योजना व आर.जी. एच. के बकाया करोड़ों रुपए की राशि का भुगतान निजी अस्पतालों को पिछले पांच-छ:ह वर्षों से नहीं कर रही है।
बिल वापसी नहीं तो जारी रहेगा आन्दोलन
डॉ बी एल स्वामी व डॉ दीप्ती वहल ने बताया कि पी.बी.एम.अस्पताल सहित राजस्थान की सरकारी अस्पतालों नि:शुल्क इलाज का बहाना बनाकर सरकार करोड़ों का राजस्व, चिरंजीवी योजना, आर.जी.एच.एस. के माध्यम से वसूल रही है। यह आंदोलन तब तक जारी रहेगा जब तक हमारी मांगें नहीं मानने और इस काले कानून को वापस नहीं ले लें। अन्यथा आन्दोलन जारही रहेगा। इस आंदोलन में विभिन्न संस्थाओं रेजीडेंट डाक्टर एसोसिएशन, सेवारत चिकित्सा संघ, मेडिकल कॉलेज टीचर एसोसिएशन, पैरा मेडिकल एसोसिएशन, लैब एसोसिएशन, केमिस्ट एसोसिएशन और कई सामाजिक एवं स्वयं सेवी संस्थाओं का सहयोग मिल रहा है। पत्रकार वार्ता में डॉ अरूण तुनागरिया व डॉ शैफाली दाधीच भी मौजूद रहे।
फूंका पुतला,बजाई थालियां
राइट टू हेल्थ बिल का विरोध कर रहे चिकित्सकों ने आज शाम सरदार पटेल मेडिकल कॉलेज के आगे मुख्यमंत्री,चिकित्सा मंत्री का पुतला फूंका और स्टील के बर्तन बजाकर विरोध दर्ज करवाया। आन्दोलन कर चिकित्सक अपने परिवार सहित प्रदर्शन में पहुंचे और सरकार के खिलाफ नारेबाजी की।